भारत के स्पिनर हरभजन सिंह ने खुलासा किया है कि 2007 विश्व कप उनके करियर का सबसे खराब दौर था और यह वह समय था जब हमने खेल को एक साथ छोड़ने का विचार बनाया था। पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा के साथ एक स्पष्ट बातचीत में हरभजन सिंह ने भारत के पूर्व कोच ग्रेग चैपल को दोषी करार दिया और कहा कि उन्होंने स्थापित टीम में फूट डालने का काम किया।
अनुभवी स्पिनर ने कहा कि ग्रेग चैपल एक ऐसे व्यक्ति थे जो एक बनीं बनाई टीम को नष्ट कर सकते थे और साथ ही भारतीय टीम के कोच के रूप में अपने मकसद पर संदेह करते थे। ये बात गौर देने वाली है कि ग्रेग चैपल के समय में ही महान सौरव गांगुली को टीम में अपनी जगह गंवानी पड़ी थी।
हरभजन सिंह ने कहा, "इससे पहले बहुत कुछ हुआ था। जब ग्रेग चैपल हमारी टीम के कोच के रूप में आए, तो उन्होंने पूरी टीम को तितर-बितर कर दिया। कोई नहीं जानता कि जब वह हमारे कोच बनकर आए, तो उनका मकसद क्या था। कोई नहीं जानता कि किसी मजबूत टीम को उनसे बेहतर कैसे खराब किया जाए। वह जो चाहते थे, करते थे।"
साल 2007 और 2011 में भारत की विश्व कप विजेता टीमों का हिस्सा रहे हरभजन सिंह ने ग्रेग चैपल को 2007 विश्व कप में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया। हरभजन ने कहा कि इस वक्त टीम के भीतर विश्वास की कमी थी और यही कारण है कि टीम में सभी बड़े नाम होने के बावजूद टीम हार गई।
भज्जी ने कहा, "2007 का 50 ओवर विश्व कप मेरे करियर का सबसे खराब समय था। हम बहुत कठिन समय से गुजर रहे थे और मैंने यह भी सोचा कि शायद भारत के लिए खेलने का यह सही समय नहीं हैं। ग्रेग चैपल कौन हैं और वह क्या करने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रेग चैपल की फूट डालो और राज करो की नीति थी, वह ऐसे ही काम करते थे।"