भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने भारत के लिए लगभग दो दशक तक क्रिकेट खेला। इस दौरान उन्होंने भारत के लिए दो वर्ल्ड कप खेले। 2003 में भारत को जहां फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, वहीं 2011 वर्ल्ड कप भारत ने जीता था। 1999 में भारत के लिए डेब्यू करने वाले नेहरा ने कई कप्तानों के अंडर भारत के लिए खेला, लेकिन इंजरी की वजह से उनका टीम से अंदर बाहर का सिलसिला चलता रहता था। नेहरा ने सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में सबसे अधिक मैच खेले और अब नेहरा ने इन दोनों कप्तानों की विशेषताएं बताई है।
आकाश चोपड़ा से बात करेत हुए नेहरा ने कहा "हर कप्तान अलग होता है इस पर कोई संदेह नहीं है। मेरे से कई बार मीडियो और कमेंट्री के दौरान भी अकसर पूछते हैं कि सौरव गांगुली और एमएस धोनी में से बेहतर कप्तान कौन है? मैं उन्हें बताता हूं कि भारत ने 2000 से पहले भी क्रिकेट खेला है और कपिल देव, सुनील गावस्कर, वेंकटराघवन और अजीत वाडेकर जैसे भारत के कप्तान रह चुके हैं। हम अतीत को भुलाकर वर्तमान में जीना चाहते हैं। अगर आप मोहिंदर अमरनान और मदन लाल जैसे खिलाड़ियों से पूछेंगे तो वह कपिल देव और सुनील गावस्कर जैसे कप्तानों का ही नाम लेंगे। अगर आप सनी भाई से भी पूछेंगे तो वो अजीत वाडेकर का ही नाम लेंगे।"
उन्होंने आगे कहा "कोई भी मोहम्मद अजरूद्दीन की बात नहीं करता जिन्होंने तीन वर्ल्ड कप में भारत की कप्तानी की थी। मुझे नहीं लगात किसी भी भारतीय कप्तान ने तीन वर्ल्ड कप में कप्तानी की हो। मुझे लगता है कि हर युग अलग होता है।"
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गांगुली और धोनी की कप्तानी के बारे में बात करते हुए नेहरा ने कहा "बाकी कप्तानों के मुकाबले मैं गांगुली और धोनी की कप्तानी में ज्यादा खेला हूं और ये दोनों कप्तान अपने खिलाड़ियों का बेस्ट परफॉर्मेंस निकालना जानते हैं।"
इन दोनों कप्तानों की चुनौतियों के बारे में नेहरा ने कहा "गांगुली के सामने नई टीम बनाने का चैलेंज था। वहीं धोनी के पास गैरी कर्सटन जैसे कोच थे और उनके पास टीम तैयार थी, लेकिन उनके सामने चैलेंज सीनियर खिलाड़ी को लीड करना था। दादा की सबसे अच्छी बात थी कि उन्हें अपने खिलाड़ी पता थे, वह जानते थे कि किसो बैक करना है इस वजह से वह किसी से भी लड़ने को तैयार हो जाते थे।"
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धोनी की कप्तानी की तारीफ करेत हुए नेहरा ने कहा "धोनी काफी दिमागदार कप्तान है, वह शांत रहते हैं। वह कोशिश करते हैं कि अपने खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा मौके दे सकें। कर्सटन के साथ उनकी अच्छी बनती है। उनकी टीम में सचिन तेंदुलकर, द्रविड़, लक्ष्मण, सहवाग, युवराज और हरभजन जैसे खिलाड़ी थे। 2007 वर्ल्डकप में उन्होंने जिस टीम की कप्तानी की थी उसमें भी सीनियर खिलाड़ी थे। उन सभी ने धोनी की तारफी की थी जिस तरीके से धोनी ने टीम को संभाला था।"