लंदन। पूर्व सलामी बल्लेबाज मार्क बूचर को इंग्लैंड की बहु-सांस्कृतिक क्रिकेट टीम पर गर्व है लेकिन वह मानते हैं कि एक संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है जिसमें अश्वेत खिलाड़ियों का नैसर्गिक समावेश हो सके। इंग्लैंड के मौजूदा तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन की तरह बूचर ने भी राष्ट्रीय और काउंट्री की शीर्ष टीमों में अश्वेत खिलाड़ियों की घटती सख्या पर चिंता जतायी।
अमेरिका में श्वेत पुलिकर्मी की बेरहमी से अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के र्जाज फ्लॉयड की मौत के बाद से दुनियाभर में नस्लवाल का विरोध हो रहा है। बूचर ने स्काई स्पोर्ट्स न्यूज से कहा, ‘‘ मैं कहना चाहूंगा कि क्रिकेट भी दूसरे खेलों की तरह साफ है, यह दूसरे खेलों की तरह बहु-सांस्कृतिक है। आप सिर्फ इंग्लैंड की उस टीम को देखिए जिसने विश्व कप जीता है। मुझे लगता है कि अपको इस पर गर्व होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आप सिर्फ इसे लेकर यहीं रूक नहीं सकते है। नस्ल अधिक संरचनात्मक मुद्दा है। मुझे लगता है यह इतना आसान नहीं है।’’ बूचर की मां जमैका से हैं और उन्होंने नस्लवाद के मुद्दे के पीछे की संरचनात्मक और पीढ़ीगत समस्याओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, ‘‘अश्वेत पेशेवर खिलाड़ियों की संख्या कम होती जा रही है। इनमें से कुछ संरचनात्मक समस्या के कारण है तो कुछ सामान्य है। एक विशेष गुट पर दोष देना सही नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ विशेष रूप से मनोरंजन के लिए खेले जाने वाले क्रिकेट में या यहां तक कि आयु-वर्ग के क्रिकेट में लोग बेपरवाह होकर संस्कृति के बारे में टिप्पणी कर देते है।’’ दुनिया भर के खेल बिरादरी से जुड़े लोगों ने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अभियान का समर्थन किया है। इसमें वेस्टइंडीज के डेरेन सैमी और क्रिस गेल के अलावा इंग्लैंड के जोफ्रा आर्चर और एंडरसन भी शामिल है।