भारतीय कप्तान विराट कोहली ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया था कि जब 2014 में इंग्लैंड दौरे पर वह रन नहीं बना पा रहे थे तो वह डिप्रेशन में चले गए थे। उन्होंने बताया कि वह टीम के साथ होने के बावजूद अकेला महसूस कर रहे थे और उन्हें नींद ना आने की भी समस्या का भी सामना करना पड़ा था। विराट कोहली के इस बयान पर अब टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी फारुख इंजीनियर ने कहा है कि इतनी खूबसूरत पत्नी होते हुए आप कैसे डिप्रेशन में आ सकते हैं।
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स्पोर्ट्स कीड़ा से बात करते हुए फारुख इंजीनियर ने कहा "आप कैसे ड्रिप्रेस्ड हो सकते हैं अगर आपके पास इतनी खूबसूरत पत्नी है। अब आप पिता बन चुके हैं, भगवान को शुक्रिया कहने के लिए आप के पास कई कारण हैं। डिप्रेशन एक पश्चिमी देशों की सोच है। हम भारतीयों के पास ऐसी उर्जा होती है। जिसके कारण इससे बचा जा सकता है। हमारी मानसिक स्थिति भी बहुत अच्छी है।"
बता दें, विराट कोहली का 2014 इंग्लैंड दौरा उनके करियर का सबसे खराब दौरा था। उस दौरान विराट कोहली ने खेले 5 मैचों में 13.40 की औसत से 134 रन बनाए थे। इस दौरान विराट कोहली का सर्वाधिक स्कोर 39 रन का रहा था।
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इस दौरे पर अपनी डिप्रेशन की कहानी बताते हुए विराट ने कहा था "हां, मेरे साथ ऐसा हुआ था। यह सोचकर अच्छा नहीं लगता था कि आप रन नहीं बना पा रहे हो और मुझे लगता है कि सभी बल्लेबाजों को किसी दौर में ऐसा महसूस होता है कि आपका किसी चीज पर कोई कंट्रोल नहीं है।"
कोहली ने आगे कहा "आपको पता नहीं होता है कि इससे कैसे पार पाना है। यह वह दौर था जबकि मैं चीजों को बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकता था। मुझे ऐसा महसूस होता था कि जैसे कि मैं दुनिया में अकेला इंसान हूं।"
उन्होंने कहा "निजी तौर पर मेरे लिए वह नया खुलासा था कि आप बड़े ग्रुप का हिस्सा होने के बावजूद अकेला महसूस करते हो। मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरे साथ बात करने के लिए कोई नहीं था लेकिन बात करने के लिए कोई पेशेवर नहीं था जो समझ सके कि मैं किस दौर से गुजर रहा हूं। मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ा कारक होता है। मैं इसे बदलते हुए देखना चाहता हूं।"
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विराट ने कहा, "ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसके पास किसी भी समय जाकर आप यह कह सको कि सुनो मैं ऐसा महसूस कर रहा हूं। मुझे नींद नहीं आ रही है। मैं सुबह उठना नहीं चाहता हूं। मुझे खुद पर भरोसा नहीं है। मैं क्या करूं।"
उन्होंने कहा,"कई लोग लंबे समय तक ऐसा महसूस करते हैं। इसमें महीनों लग जाते हैं। ऐसा पूरे क्रिकेट सीजन में बने रह सकता है। लोग इससे उबर नहीं पाते हैं। मैं पूरी ईमानदारी के साथ पेशेवर मदद की जरूरत महसूस करता हूं।"