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कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के दौरान खिलाड़ियों का मानसिक तनाव दूर करने में परिवार अहम

कोच जस्टिन लैंगर ने इस बारे में बात की कि कैसे युवाओं पर निगाह रखने की जरूरत है कि वे इन मुश्किल हालात से कैसे उबर रहे हैं। 

Reported by: Bhasha
Published : March 29, 2020 9:15 IST
Family important to relieve mental stress of players during fight against Covid-19
Image Source : GETTY IMAGES Family important to relieve mental stress of players during fight against Covid-19 

दिल्ली। खतरनाक कोविड-19 महामारी के कारण पूरी दुनिया में लॉकडाउन है तो इसके बारे में सोचकर मानसिक तनाव हो सकता है और खिलाड़ी भी इससे इतर नहीं हैं जो रोजमर्रा की जिंदगी में स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं। खिलाड़ियों का मानसिक स्वास्थ्य मुद्दा अब गंभीर विषय बन चुका है और हाल में ऑस्ट्रेलियाई कोच जस्टिन लैंगर ने इस बारे में बात की कि कैसे युवाओं पर निगाह रखने की जरूरत है कि वे इन मुश्किल हालात से कैसे उबर रहे हैं। 

भारत में 21 दिन का लॉकडाउन है और पीटीआई ने कुछ मौजूदा और पूर्व क्रिकेटरों से बात की कि हमारे खिलाड़ी इससे निपटने में मानसिक रूप से मजबूत कैसे हैं। मनिंदर सिंह, मनोज तिवारी और इरफान पठान ने बताया कि कैसे भारत की पारिवारिक संरचना इस संकट से उबरने में मदद करती है जबकि दीप दासगुप्ता के विचार थोड़े अलग हैं जिनका मानना है कि यह रिश्तों की दिलचस्प परीक्षा होगी। 

मनोज ने कुछ पश्चिमी देशों के साथ इस अंतर को समझाते हुए कहा, ‘‘मेरा मानना है कि भारत की पारिवारिक संस्कृति ऐसी चीज है जो इस अनिश्चित दौर में हमें मानसिक दबाव से निपटने में मदद करेगी। मैं लगातार यात्रा करता हूं और अब मुझे अपने बेटे को हर रोज दोपहर का खाना खिलाना होता है। यह मेरे लिये पूरी तरह से नया अनुभव है लेकिन काफी अहम है।’’

34 साल के मनोज ने कहा, ‘‘आप शायद दुनिया के कुछ देशों के 21 साल के खिलाड़ी को अकेले रहते हुए देखोगे। वह आईपीएल में खेलता है, पार्टी करता और जीवन का आनंद लेता है। और फिर ऐसा ही कुछ हो जाता है। तो आप अकेले हैं और अचानक सारी नकारात्मक चीजें आपके दिमाग में आने लग जाती हैं और जैसा कि कहा जाता है खाली दिमाग शैतान का घर होता है।’’

इरफान ने कहा कि हमारे खिलाड़ी काफी मुश्किलों से गुजरते हुए मजबूत हो जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को देखो तो अगर आपके पास नौकरी नहीं है तो सरकार आपकी देखभाल करती है और आपको वित्तीय सहयोग मुहैया कराती है जब तक आप काबिल नहीं हो जाते। यह अच्छी चीज है। आपको इतना ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं होती। लेकिन भारत में हमें काफी मुश्किल से इसे हासिल करना होता है। हम बहुत कम उम्र से ही कठिनाइयों का सामना करना सीख जाते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘परिवार हमेशा आपके साथ होता है क्योंकि वे आपको बहुत प्यार करते हैं और ऐसा नहीं है कि जब आप खेल के शिखर पर हों, तभी वे आपके साथ होंगे। अन्य देशों के खिलाड़ियों की तुलना में हमारे पास यह पारिवारिक साथ होता है। मेरे घर में मेरा बड़ा भाई, उसका परिवार, मेरा परिवार, मेरे माता पिता, सभी इसके लिये हैं। काम खत्म करके आप अपने परिवार के पास आते हो।’’

पूर्व भारतीय स्पिनर मनिंदर हालांकि अलग तरह के तनाव से गुजर चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘खाली घर में किससे बात करोगे आप? दीवारों से? अकेलापन कभी भी अच्छा नहीं है। परिवार और दोस्तों के होने से मदद मिलती है। सकारात्मक वातावरण में रहिये। हमारी अपनी परेशानिया हैं और मुझे नहीं लगता कि हमारे खिलाड़ियों को मानसिक मदद की जरूरत होगी।’’

दासगुप्ता हालांकि इतने निश्चित नहीं है लेकिन कहा कि आने वाले दिन दिलचस्प मामले सामने लेकर आयेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ये 21 दिन रिश्तों की परीक्षा होगी। हर कोई बेहतर समय बिताने के बारे में बात कर रहा है लेकिन बेहतर समय क्या है। हम अपनी जिंदगियों में व्यस्त हैं और इसी बीच में हमें जो समय मिलता है, उसे हम बेहतर समय कहते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब यह सामान्य हो गया है, हम चौबीसों घंटे ऐसा कर रहे हैं। लेकिन सवाल है कि हम कैसे निकलते हैं क्योंकि हमारे परिवार वाले भी इसी अनुभव से गुजर रहे हैं। ’’ 

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