भारतीय क्रिकेट में यशस्वी जायसवाल एक ऐसा नाम है जिसकी कहानी संघर्ष से भरी है। उत्तर प्रदेश के भदोही से निकलकर कम उम्र में मुंबई तक का सफर और फिर गोल गप्पे बेचकर मायानगरी में अपने सपनों का पीछा करना। कुछ ऐसी ही कहानी है यशस्वी जायसवाल की जो इस साल आईपीएल में अपना डेब्यू करने वाले थे लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इस युवा खिलाड़ी का आईपीएल में खेलने का इंतजार लंबा हो गया है।
यशस्वी के लिए साल 2020 की शुरुआत काफी शानदार रही। साउथ अफ्रीका की धरती पर खेले गए अंडर-19 वर्ल्ड कप में यशस्वी के बल्ले से सबसे ज्यादा रन निकले और भारत को फाइनल मुकाबले तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की। इस टूर्नामेंट के लिए रवाना होने से एक दिन पहले ही राजस्थान रॉयल्स ने यशस्वी को 2.4 करोड़ में अपनी टीम में शामिल किया था और उम्मीद लगाई जा रही थी कि अंडर-19 वर्ल्ड कप की तरह इस युवा खिलाड़ी के लिए ये टूर्नामेंट भी खास रहेगा लेकिन कोरोना वायरस के कारण यशस्वी ही नहीं बल्कि कई युवा बल्लेबाज की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। इसी सिलसिल में इंडिया टीवी ने यशस्वी जायसवाल और उनके कोच ज्वाला सिंह से बातचीत की। इस खास बातचीत में यशस्वी ने बताया कि कैसे वह इस खाली समय का इस्तेमाल अपनी तैयारी के लिए कर रहे हैं।
यशस्वी ने कहा, "अंडर-19 वर्ल्ड कप के बाद मेरे कंधे में स्ट्रेन आया था और उसी के रिहेबिलेटशन प्रोग्राम से मैं गुजर रहा हूं। राजस्थान रॉयल्स के ट्रेनर जॉन ग्लास्टर ने मुझे कुछ एक्सरसाइज बताई है और एनसीए के ट्रेनर से भी इनपुट मिला है। उसी हिसाब से मैं डेली वर्कआउट और एक्सरसाइज कर रहा हूं। मैं फिजीकल ट्रेनिंग और मेंटल ट्रेनिंग पर फोकस कर रहा हूं। इसके अलावा मैं फोकस के लिए अध्यात्म का भी सहारा ले रहा हूं। मेरे कोच ज्वाला सर मुझे भगवद्गगीता के अच्छे-अच्छे लेसन भेजते हैं जिसके मैं रोजोना नोट्स बनाता हूं और कोच को दिखाता हूं।"
यशस्वी जायसवाल ने मार्च महीने की शुरुआत में नागपुर में राजस्थान रॉयल्स के कैंप में हिस्सा लिया जहां उन्हें कई बड़े खिलाड़ियों के साथ अभ्यास करने का मौका मिला। इस कैंप के अनुभव के बारे में यशस्वी ने बताया, "नागपुर में राजस्थान रॉयल्स के कैंप में शानदार अनुभव रहा। कई बड़े क्रिकेटर्स से मिलने का मौका मिला। इस दौरान राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेट हेड जुबीन भरुचा से मुलाकात हुई और उन्होंने मुझे कई अच्छ-अच्छे टिप्स दिए। उन्होंने बताया कि जब आप बड़े लेवल का क्रिकेट खेलते हो तो किस तरह की मानसिकता होनी चाहिए और कैसे अपनी तकनीक पर काम करना है। इससे मुझे काफी मदद मिली।"
राजस्थान की टीम में ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज स्टीव स्मिथ, बेन स्टोक्स और जॉस बटलर जैसे विदेशी खिलाड़ी शामिल हैं।ऐसे में जब यशस्वी से पूछा गया कि इतने बड़े खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रुम शेयर करने को लेकर क्या उन पर किसी तरह का दवाब है तो उन्होंने कहा, "दवाब तो ऐसा कोई नहीं है लेकिन जब आप इतने बड़े क्रिकेटर्स के साथ होते हैं तो गर्व का अनुभव होता है। वर्ल्ड के बेस्ट खिलाड़ियों के साथ ड्रैसिंग रुम शेयर करना एक अपने आप में एक बड़ी बात है। मेरे लिए ये मौका काफी कुछ सीखने वाला होगा। मुझे उम्मीद है कि उनके साथ खेलने, रहने और प्रैक्टिस करने से मुझे काफी सीखने को मिलेगा जो आगे मेरे क्रिकेट करियर में काफी मददगार होगा।"
आईपीएल के स्थगति होने से यशस्वी के साथ-साथ उनके कोच ज्वाला सिंह भी निराश हैं। उनका मानना है कि आईपीएल की डेट आगे बढ़ने से युवा खिलाड़ी थोड़ा मायूस तो हैं। ज्वाला सिंह ने कहा, "निराशाजनक बिल्कुल है। आप इतना मेहनत करके इस लेवल पर आते हो और आसान नहीं होता आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट तक पहुंचना और उसके करीब तक आना। हर खिलाड़ी का सपना होता है आईपीएल में खेलना। फिर अचानक से इस तरह की कोई चीज हो जाए तो निराशा तो बिल्कुल होती है। लेकिन इस संकट की स्थिति में खुद को फोकस और सकारात्मक रखना बहुत जरुरी है क्योंकि खाली समय में दिमाग में काफी नेगेटिव विचार आते हैं।"
ये पूछे जाने पर कि वह कौन सी चीज है जो यशस्वी को बाकि युवा क्रिकेटरों से अलग बनाती है तो उन्होंने कहा, "यशस्वी और मेरी कहानी काफी समान है। मैं भी 12-13 साल की उम्र में गोरखपुर से मुंबई क्रिकेट खेलने के लिए आया था। मेरा भी सपना था कि मैं पहले मुंबई की तरफ से क्रिकेट खेलूं और फिर अच्छा करुं तो शायद भारत कीओर से खेलूं। मैंने काफी अच्छा क्रिकेट खेला और एक समय मैं जूनियर लेवल पर टॉप पर था। लेकिन अचानक मुझे इंजुरी हुई और उस समय मेरे आसपास कोई नहीं था जो मुझे समझा सके। उस समय मुझे लगता था कि बहुत ज्यादा प्रैक्टिस करनी होती है क्रिकेटर बनने के लिए। मैंने बहुत ज्यादा एफर्ट्स डाले और उसी वजह से मैं चोटिल हो गया। मेरे पास डाइट अच्छा नहीं था और सबसे बड़ी बात मुझे कोई गाइड करने वाला नहीं था। तो फिर जब मैंने यशस्वी को देखा तो मुझे लगा कि अगर ये सब चीजें उसे मिल जाए जो मुझे नहीं मिल पाई तो ये काफी आगे जा सकता है।"
उन्होंने आगे कहा, "यशस्वी का मुंबई में मुझसे मिलने से पहले 2-3 साल स्ट्रगल काफी असाधारण रहा है जिसकी वजह से उसका टेम्परामेंट बहुत ज्यादा अच्छा हो गया है। इससे उसके अंदर कभी हार न मानने वाला एटिट्यूड है जो उससे बाकि क्रिकेटरों से अलग बनाता है। एटिट्यूड एक ऐसी चीज है जो किसी खिलाड़ी में डाली नहीं जा सकती वह खुद से आती है।"