बर्मिंघम। भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली की संघर्षपूर्ण पारी के बावजूद टीम इंडिया बर्मिंघम टेस्ट में 31 रनों से हार गई। इंग्लैंड ने एक छोर से लगातार विकेट लेकर कोहली की जुझारू पारी को जाया कर दिया और भारत को 31 रनों से मात देकर पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली। इंग्लैंड ने चौथी पारी में भारत के सामने 194 रनों का लक्ष्य रखा था। भारतीय बल्लेबाज इंग्लैंड के हालात और पिच से तेज गेंदबाजों को मिल रही मदद के सामने अपने पैर जमा नहीं पाए। पूरी टीम 54.2 ओवरों में 162 रनों पर ढेर होकर मैच हारने पर मजबूर हो गई।
भारतीय टीम की हार के बाद पूर्व भारतीय कप्तान और इंडिया टीवी क्रिकेट एक्सपर्ट सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की 31 रनों से हार को लेकर इंडिया टीवी से बात की। उन्होंने कोहली के अलावा अन्य भारतीय बल्लेबाजों की विफलता को एजबस्टन में भारत की हार का मुख्य कारण बताया। पूर्व कप्तान ने कहा "यदि आपको एक टेस्ट जीतना है तो हर किसी को रन बनाने होंगे। अन्य बल्लेबाजों को भी शतक बनाने होंगे। विराट ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया नहीं तो भारत दूसरे दिन ही मैच से बाहर हो गया था।"
जब उनसे पूछा गया कि क्या उनका मानना है कि भारत सीरीज में वापसी कर सकता है, तो गांगुली ने कहा: "यह पांच मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट था और मुझे लगता है कि इस टीम के कमबैक करने की और अच्छी तरह से खेलने की क्षमता है। अजिंक्य रहाणे और मुरली विजय को टिककर खेलना होगा क्योंकि उन्होंने पहले भी इन कंडीशन्स में यहां रन बनाए हैं।"
गांगुली ने अकेले विराट पर हार का ठीकरा फोड़ने को गलत माना। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि कप्तान इस हार के लिए जिम्मेदार है। अगर आप कप्तान हैं तो आपको हार के लिए क्रिटिसाइज किया जाएगा वैसे ही जैसे जीतने पर आपको बधाई दी जाती है। हां इस बात के लिए आप कोहली की आलोचना कर सकते हैं कि उन्हें अपने बल्लेबाजों को टीम से ड्रॉप करने से पहले रन बनाने के अधिक मौके देने चाहिए।" दादा ने यह भी कहा कि इंग्लिश कंडीशन्स में स्विंग के खिलाफ फेलियर को बहाना नहीं बना सकते क्योंकि हर कोई जानता है कि जब आप इंग्लैंड आएंगे तो आपको क्या मिलेगा।
दादा ने कहा, "आप हमेशा इस बात का बहाना नहीं बना सकते कि हम यहां 2011 और 2014 में भी हारे हैं। आपको बल्लेबाजी करनी ही होगी। ये हम सब जानते हैं कि गेंद इंग्लैंड में स्विंग करती है ठीक वैसे ही जैसे ऑस्ट्रेलिया अपने तेज विकेट के लिए जाना जाता है। इसलिए अगर आपने पहले यहां रन बनाए हैं तो अब कोई बहाना नहीं बना सकते।"
लॉर्ड्स में सीरीज बराबर करने की संभावनाओं को लेकर गांगुली ने कहा, "कप्तान को अपने खिलाड़ियों में विश्वास करना चाहिए। यह उनकी टीम है और वे ही केवल उनकी मानसिकता बदल सकते हैं। उसे (कोहली) उनके साथ बैठना होगा और उन्हें बताना होगा कि अगर वह कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं। कोहली को उन्हें समय देना चाहिए और बिना किसी डर के मैदान पर जाने और खेलने के लिए कहना चाहिए। यह सच है कि लगातार प्लेइंग में बदलाव के कारण खिलाड़ियों को डर लग सकता है कि वे टीम मैनेजमेंट का विश्वास हासिल करने में फेल हुए हैं।"
दादा ने पुरानी टीमों के उदाहरण देते हुए कहा, "अतीत की महान टीमों जिनमें ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका या 2007 में टेस्ट सीरीज जीतने वाली हमारी अपनी टीम, के बारे में अच्छी बात ये थी कि ब्वॉयज खेल के दोनों फॉर्मट में खेलते थे। चाहें वो सचिन (तेंदुलकर), राहुल (द्रविड़), वीरू (वीरेंद्र सहवाग) या खुद मैं ही क्यों न हूं। इसलिए अगर आप एक या दो मैचों में बुरी तरह खेले तो भी आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फॉर्म में वापस आने के लिए बहुत समय मिला। प्रथम श्रेणी में खेलना और 150 स्कोर करना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की भरपाई नहीं कर सकता है। इस टीम में विराट को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज सभी फॉर्मट में नहीं चलता है। अंतरराष्ट्रीय रन अंतरराष्ट्रीय रन हैं और वे प्रथम श्रेणी के रनों से ज्यादा आत्मविश्वास देते हैं।"