भारतीय पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने हाल ही में खुलासा किया है कि 2005 में अचानक उनसे टीम की कप्तानी छीनना और वनडे और टेस्ट टीम से बाहर करने में अकेले ग्रेग चैपल का हाथ नहीं था। गांगुली ने कहा कि इस योजना में हर कोई शामिल था। बता दें, 2005 में जिम्बाब्वे टूर पर जीत हासिल करने के बाद सौरव गांगुली से कप्तानी छीन ली गई थी और कुछ समय बाद ही उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
सौरव गांगुली ने अपने 48वें जन्मदिन पर बंगाली अखबार सांगबाद प्रतिदिन से बातचीत करते हुए कहा "यह मेरे करियर का सबसे बड़ा झटका था। यह मेरे लिए पूरी तरह से अन्याय था। मुझे पता है कि तुम्हें हर बार इंसाफ नहीं मिल सकता, लेकिन फिर भी उस तरह के ट्रीटमेंट से बचा जा सकता था। मैं उस टीम का कप्तान था जिसने अभी जिम्बाब्वे में जीत हासिल की थी और घर लौटने के बाद मुझे बर्खास्त कर दिया गया?"
गांगुली ने साथ ही कहा कि वर्ल्ड कप 2003 के फाइनल में हार झेलने के बाद वह 2007 वर्ल्ड कप जीतने का सपना देख रहे थे। दादा ने आगे कहा "मैंने भारत के लिए 2007 विश्व कप जीतने का सपना देखा था। हम पिछली बार फाइनल में हार गए थे। मेरे पास सपने देखने के भी कारण थे। टीम ने पिछले पांच वर्षों में मेरे अंडर इतना अच्छी खेल रही थी चाहे वह घर हो या विदेशी सरजमीं पर। फिर तुम अचानक मुझे निकाल देते हो? पहले, आप कहते हैं कि मैं एकदिवसीय टीम में नहीं हूं, फिर आप मुझे टेस्ट टीम से भी बाहर कर देते हैं।"
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बता दें, सौरव गांगुली को 2005 में अचानक टेस्ट और वनडे टीम से निकाल दिया था और साथ ही उनसे कप्तानी भी छीन ली गई थी। गांगुली ने इसके बाद बतौर बल्लेबाज 2006 में साउथ अफ्रीका के दौरान पर टीम इंडिया में वापसी की थी। गांगुली ने बताया कि उन्हें टीम से बाहर निकालने के लिए अकेले ग्रेग चैपल का ही हाथ नहीं था। साथ ही उन्होंने इस दौरान ग्रैग चैपल के उस ईमेल के बारे में भी बताया जो चैपल ने गांगुली के खिलाफ बीसीसीआई को लिखा था और बाद में वह लीक हो गया था।
गांगुली ने कहा “मैं अकेले ग्रेग चैपल को दोष नहीं देना चाहता। इस तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं है कि वह वही था जिसने इसे शुरू किया था। वह अचानक मेरे खिलाफ बोर्ड को एक ईमेल भेजता है जो लीक हो जाता है। क्या ऐसा कुछ होता है? एक क्रिकेट टीम एक परिवार की तरह होती है। परिवार में मतभेद, गलतफहमी हो सकती है लेकिन बातचीत से सुलझ जाना चाहिए। आप कोच हैं, अगर आप मानते हैं कि मुझे एक निश्चित तरीके से खेलना चाहिए तो मुझे आकर बताएं। जब मैं एक खिलाड़ी के रूप में लौटा तो उन्होंने वही चीजें निर्दिष्ट कीं, फिर पहले क्यों नहीं?"
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गांगुली ने अंत में कहा “दूसरे भी निर्दोष नहीं हैं। एक विदेशी कोच, जिसके चयन में कोई बात नहीं है, वह भारतीय कप्तान को टीम से बाहर नहीं कर सकता। मैं समझ चुका था कि यह पूरी व्यवस्था के समर्थन के बिना संभव नहीं है। हर कोई मुझे निकालने की योजना में शामिल था। लेकिन मैं दबाव में नहीं था। मैंने अपने से विश्वास नहीं खोया।"
सौरव गांगुली की गिनती भारत के सबसे सफल कप्तानों में होती है। गांगुली ने उस समय टीम की कमान संभाली थी जब टीम फिक्सिंग जैसे गंभीर आरोपों से जूझ रही थी। गांगुली ने अपनी कप्तानी में एक युवा टीम खड़ी की और उसे देश-विदेश में जीतना सिखाया। गांगुली ने अपने करियर के दौरान 311 वनडे और 113 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने क्रमश: 11363 और 7212 रन बनाएं।