आने वाले सालों में साल 2020 का जिक्र जब भी किया जाएगा, फिराक गोरखपुरी की शेर 'एक मुद्दत से तेरी याद भी आई ना हमें, और हम भूल गए हैं तुझे ऐसा भी नहीं... ज़ेहन में कौंध जाएगी। जिसका मतलब है कि हम किसी घटना को याद भी नहीं रखना चाहते हैं लेकिन वो इतनी बुरी है कि उसे भुला भी नहीं पा रहे हैं। इस तरह पूरा साल सिर्फ भारतीय क्रिकेट ही नही बल्कि सबके लिए कोरोना नाम के ग्रहण से जूझता रहा। जिसे भविष्य में कोई भी याद नहीं रखना चाहता लेकिन सदियों तक इस साल को कोई भुला भी नहीं सकता है।
साल 2020 में एक ही शब्द, 'कोविड - 19' हमारे दिलों और दिमाग में दहशत की तरह घर कर गया। जिसका असर भारतीय क्रिकेट पर भी देखने को मिला है। इस साल भारतीय क्रिकेट टीम का प्रदर्शन उसके क्रिकेटिया फैंस की आशाओं के अनुरूप नहीं रहा। जिसके जाते-जाते एडिलेड में मिली बुरी हार ने कोहली सेना के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम किया है। यही कारण है कि क्या पुरुष हो या महिला खिलाड़ी या फैंस सभी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में इस साल को भुला देना चाहते हैं।
कप्तान विराट कोहली की सेना इस पूरे साल सिर्फ 23 अंतराष्ट्रीय मैच (तीनो फॉर्मेट को मिलाकर) ही खेल पाई। जिसमें 3 टेस्ट, 9 वनडे और 11 टी20 मैच शामिल है। जिसमें भारत को इस साल तीनों टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा है। जबकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले जाने वाले साले के अंतिम टेस्ट मैच में भारत ने जीत हासिल की। वहीं 9 वनडे में भारत को 6 में हार तो सिर्फ 3 जीत ही दर्ज हुई। जबकि क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में भारत को काफी सफलता मिली और 11 टी 20 मैचों में से सिर्फ एक ही मैच हारी और 10 में जीत मिली है।
टेस्ट और वनडे फॉर्मेट बने चिंता का सबब
इस तरह आने वाले साल में टी20 विश्वकप के लिहाज से क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में तो टीम इंडिया निपुण नजर आ रही है। जबकि भारतीय क्रिकेट के लिए अभी भी टेस्ट और वनडे क्रिकेट अगले साल बड़ा सरदर्द साबित होने वाला है। क्योंकि अगले साल जहां 2021 में वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का फ़ाइनल भी खेला जाना है। वहीं साल 2023 विश्वकप के लिए कोहली को जल्द ही सवालों के हल खोज कर दमदार टीम भी बनानी होगी।
ऐतिहासिक पिंक बॉल टेस्ट मैच रहा फीका
दूसरी तरफ साल के अंत में भी देखें तो भारतीय टीम को अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वनडे सीरीज में हाथ धोना पड़ा। जबकि टी20 में जीत हासिल करने के बाद एक बार फिर टीम को ऑस्ट्रेलिया में खेली जाने वाली बॉर्डर गवास्कर ट्राफी के पहले मैच में बुरी हार का सामना करना पड़ा। विदेशी सरजमीं पर पहली बार खेले डे नाईट टेस्ट मैच को टीम इंडिया कभी याद नहीं करना चाहेगी। जिसमें उसके बल्लेबाज टेस्ट मैच की दूसरे पारी में सिर्फ 36 रन ही बना पाए। उनकी टीम का कोई भी बल्लेबाज दहाई के आकड़ों तक नहीं पहुँच पाया। अखबारों, चैनलों और सोशल मीडिया पर 4, 9, 2, 0, 4, 0, 8, 4, 0, 4, 1, ये नम्बर लगातार छाया रहा। ( ज्ञात हो कि ये टीम इंडिया के बल्लेबाजों द्वारा दूसरी पारी में क्रमवार बनाए गए व्यक्तिगत रन हैं।) इन सभी नंबरों को एक साथ लिखकर फैंस ने इसे कोहली का मोबईल नम्बर तक बता डाला था।
कोहली की कप्तानी में लगा धब्बा
इस तरह तरह टेस्ट क्रिकेट में जिस बड़े धब्बे के साथ साल 2020 का भारतीय क्रिकेट के लिए अंत हुआ है। उसे सदियों तक कोहली अपनी कप्तानी में धुल नही पाएंगे। उनकी कप्तानी में 36 रन पर टीम इंडिया का ऑल आउट होना उन्हें हमेशा कचोटता रहेगा। इस तरह ऑस्ट्रेलिया से इतना शर्मनाक रिकॉर्ड अपने नाम करवाकर कोहली इन दिनों अपने पहले बच्च्चे के जन्म के लिए पैटरनिटी लीव लेकर घर आ गए हैं। जबकि टीम इंडिया के बॉर्डर गवास्कर ट्रॉफी को अपने पास बचाए रखने का जिम्मा अजिंक्य रहाणे के उपर सौंप दिया है।
बिना शतक बीता कोहली का साल 2020
वहीं कोहली की बात करें तो पूरी दुनिया में लॉकडाउन के कारण कोहली भी लगभग 8 महीने तक क्रिकेट के मैदान से दूर रहे। जिसके चलते उनके बल्ले में भी जंग सी लगी नजर आ रही है। यही कारण है कि साल 2008 में डेब्यू करने के बाद कोहली ने हर साल शतकों के अम्बार लगाये। मगर इस साल कोहली एक भी बार शतक मारकर हवा में बल्ला लहराते नजर नहीं आए। उन्होंने इस साल 9 वनडे, तीन टेस्ट, और 10 टी20 मैच खेले हैं। जिसमें उनके नाम एक भी शत नहीं रहा। इस तरह कोहली की फॉर्म भी टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी चिंता का सबब रही।
रहाणे ने अंत में दी राहत
वहीं रहाणे और पुजारा के लिए भी पूरा साल अच्छा नहीं गया है। हालांकि मेलबर्न में खेले जाने वाले साल के अंतिम टेस्ट मैच में बतौर कप्तान रहाणे ने शतकीय पारी खेलकर टीम इंडिया की चिंता को कम जरूर किया है। जिससे अगले साल के आगाज का उन्होंने अपने बल्ल्ले से बिगुल बजा दिया है। जबकि चेतेश्वर पुजारा अभी तक बदरंग नजर आए हैं। ऐसे में अब भारतीय क्रिकेट को टेस्ट टीम के बेहतर भविष्य के लिए कई खिलाड़ियों के विकल्पों को तराशना भी होगा। इस तरह तमाम बुरी यादों के साथ सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि फैंस भी इस साल को भविष्य में कोहली की सेना के लिए याद नहीं रखना चाहेंगे।
महिला खिलाड़ियों की 'विश्वकप हार'
महिला क्रिकेट की बात करें तो इस साल भारतीय महिला खिलाड़ियों ने कोई भी वनडे मैच नहीं खेला। कोरोना माहामरी के कारण 8 महीने बंद पड़े क्रिकेट के बीच महिला टीम इस साल सिर्फ 11 टी20 अंतराष्ट्रीय मैच ही खेल पाई। जिसमें उन्होंने 8 मैचों में जीत दर्ज की। जिससे अगर आकड़ों पर गौर करें तो महिलाओं का प्रदर्शन फिर भी सराहनीय रहा है।
हालंकि उन तीन हार में एक हार ऐसी है जो भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में ग्रहण बन कर रह गई है। दरअसल इस साल की शुरुआत में टीम इंडिया ने साल 2020 टी20 महिला विश्वकप में शानदार प्रदर्शन किया था। मगर 8 मार्च को उसके फ़ाइनल मैच में उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। इस तरह एक बार फिर पहले विश्वकप को जीतने के इतने करीब आकर भारतीय महिला टीम के सपने चूर - चूर हो गए। जबकि दूसरी तरफ पहली बार 86,174 फैंस ने स्टेडियम में आकर एक रिकॉर्ड बना दिया था। ये महिला क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा फैंस के बीच खेला जाने वाला मैच बना।
ऐसे में विश्वकप के बाद से महिला टीम इंडिया ने एक भी अंतराष्ट्रीय मैच इस साल नहीं खेला। हालांकि महिला आईपीएल की मुहीम में शामिल विमेंस टी20 चैलेंजर्स में ही महिलाए खेलती नजर आई थी। जो कि आईपीएल 2020 के बीच दुबई में खेला गया था। इसके बाद भारतीय महिला टीम इस साल मैदान में दुबारा नहीं उतर सकी। जबकि भारत के लिए महिला टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने मार्च के बाद से मैदान में कदम नहीं रखा है। इस तरह भविष्य में भी भारतीय महिलाए कब टीम इंडिया की जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगी उसका प्लान भी सबके सामने नहीं आया है। हलांकि विश्वकप की हार बार-बार महिला क्रिकेट को ये साल भुलाने के लिए प्रेरित करती रहेगी।