राजकोट| पूर्व भारतीय स्पिनर दिलीप दोशी ने रणजी ट्रॉफी फाइनल में डीआरएस के सीमित इस्तेमाल के बीसीसीआई के फैसले पर बुधवार को निशाना साधते हुए कहा कि तकनीक को ‘पूरी तरह या बिलकुल भी नहीं’ लागू किया जाना चाहिए। ‘बाल ट्रेकिंग’ तकनीक डीआरएस का अहम हिस्सा है लेकिन रणजी फाइनल में बीसीसीआई इसका इस्तेमाल नहीं कर रहा।
बोर्ड ने सेमीफाइनल से डीआरएस का सीमित इस्तेमाल शुरू किया है जिससे कि अंपायरों के बेहद खराब फैसलों को कम किया जा सके। बंगाल और सौराष्ट्र के बीच तीसरे दिन का खेल देखने पहुंचे दोशी ने पीटीआई से कहा, ‘‘अगर आप डीआरएस जैसी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं तो इसे उचित तरीके से और पूर्ण रूप से लागू किया जाना चाहिए। क्योंकि इसका कुछ प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करना समझदारी भरा नहीं है।’’
तीसरे अंपायर को डीआरएस में स्पिन विजन, स्प्लिट स्क्रीन, स्टंप माइक और जूम करने की सुविधा मिल रही है। अभिमन्यु मिथुन जैसे शीर्ष घरेलू खिलाड़ी हालांकि अगले सत्र से ‘बाल ट्रेकिंग’ को शामिल करने की वकालत कर चुके हैं। तीसरे दिन लंच से ठीक पहले बंगाल के कप्तान अभिमन्यु ईश्वरन को मैदानी अंपायर ने पगबाधा आउट दिया और उन्होंने डीआरएस का सहारा लिया।
तीसरे अंपायर के पास ‘बाल ट्रेकिंग’ की सुविधा उपलब्ध नहीं थी जिसके कारण वह मैदानी अंपायर के फैसले को नहीं बदल सके जबकि लग रहा था कि गेंद लेग साइड से बाहर जा रही है। इस विकेट के बारे में पूछने पर दोशी ने कहा, ‘‘ऐसा लग रहा था कि गेंद लेग साइड के बाहर जा रही है लेकिन गेंद को ट्रेक नहीं किया जा सका। इसके लोगों के मन में संदेह रह गया। इस स्तर पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।’’ दोशी ने भारत की ओर से 33 टेस्ट और 13 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और इस दौरान क्रमश: 114 और 22 विकेट चटकाए।