नयी दिल्ली: पाकिस्तान के महान ऑलराउंडर और पूर्व कप्तान इमरान ख़ान ने उनकी जीवनी में स्वीकार किया है कि वह विकेट लेने के लिए गेंद के साथ छेड़छाड़ किया करते थे. यहां ग़ौरतलब है ये है कि उनकी ही कप्तानी में पाकिस्तान के दो और महान गेंदबाज़ वसीम अकरम और वक़ार यूनुस खेले हैं और दोनों ने अपनी गेंदबाज़ी से बल्लेबाज़ों का जीना हराम कर दिया था. अकरम जहां स्विंग से बल्लेबाज़ों को परेशान किया करते थे वहीं यूनुस रिवर्स स्विंग यॉर्कर से ख़ौफ़ पैदा करते थे. आपको बता दें कि अकरम ने टेस्ट में 414 और वनडे में 502 विकेट लिए हैं जबकि वक़ार ने 373 टेस्ट में और 416 विकेट वनडे में लिए हैं. अकरम जहां 2002 में रिटायर हुए वहीं वक़ार 2003 में टेस्ट से रिटायर हुए.
इमरान की जीवनी में हालंकि इन दोनों बॉलरों द्वारा गेंद से छेड़छाड़ का कोई ज़िक्र नही है लेकिन इंग्लैंड के बल्लेबाज़ एलन लैंब ने 1992 में अकरम और वक़ार पर ये आरोप लगाया था हालंकि ये साबित नहीं हो पाए थे.
इमरान ख़ान के हवाले से इस बयान ने क्रिकेट जगत में सनसनी फैला दी थी कि उन्होंने 1991 में ससेक्स और हैंपशायर के बीच मैच के दौरान बॉल से छेड़छाड़ की थी. इमरान के अनुसार- 'बॉल एकदम नहीं घूम रही थी. तो मैंने बारहवें खिलाड़ी से बोतल का ढक्कन मंगवाया और फिर बॉल घूमने लगी. मैं कभी-कभी बॉल के एक हिस्से को छीलता था और सिलाई को उठाता था.'
टेस्ट में 362 विकेट लेने वाले इमरान का कहना था कि इंग्लैंड में बॉल की सिलाई उठाना आम बात है. यही नहीं, स्विंग के लिए बॉल पर वैसलिन लगाना भी आम बात थी.'
क्रिकेट के इतिहास में बॉल से छेड़छाड़ की पहली घटना 1976-77 में इंग्लैंड के दौरे पर सामने आई थी. इंग्लैंड के लिए पहला टेस्ट खेल रहे जॉन लीवर ने घातक गेंदबाज़ी करते हुए 7 विकेट चटका दिए थे. उनकी बॉल ज़बरदस्त स्विंग हो रही थी. मैच के बाद इंडिया के कप्तान बिशन सिंह बेदी ने लीवर पर बॉल के साथ छेड़छाड़ करने का आरपो लगाया था. बेदी का आरोप था कि लीवर ने स्विंग के लिए वैसलिन का इस्तेमाल किया जो वह अपने माथे पर लगाते थे. बहरहाल, बेदी के आरोप सिद्ध नहीं हो सके थे.
ग़ौरतलब है कि वक़ार यूनुस अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में पहले बॉलर हैं जिन्हें बॉल से छेड़छाड़ के आरोप में सस्पेंड किया गया था और मैच फ़ीस का जुर्माना भी लगा था. ये घटना जुलाई 2000 में साउथ अफ़्रीका के खिलाफ टेस्ट के दौरान हुई थी.
इंग्लैंड के मीडिया वसीम अकरम पर भी बॉल टैंपरिंग के आरोप लगाता रहा था लेकिन ये कभी साबित नहीं हो पाए. आज मैदान पर जितने कैमरे लगे होते हैं उसके बीच बॉल से छेड़छाड़ करके बचना आसान नही है जबकि 80 के दशक में कैमरे कम होते थे. इसके आलावा ब्रेक के बीच बॉल खिलाड़ियों के ही पास रहती थी. ज़ाहिर है ऐसे में बॉल के साथ छेड़छाड़ करना आसान था.
बता दें कि अकरम और वकार ने इमरान के साथ 10-11 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है. इमरान ने अपना आख़िरी टेस्ट 1992 में खेला था. अकरम ने 1985 और वक़ार ने 1989 में टेस्ट में पदार्पण किया था. अकरम 2002 और वक़ार 2003 में रिटायर हो गए थे. अब सोचने वाली बात ये है कि क्या इमरान ने कम से कम उनके करिअर के शुरुआती दौर में बॉल टैंपरिंग के गुण नहीं सिखाए होंगे...?