पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ ने हाल ही में एक सनसनीख़ेज़ ख़ुलासा किया है. उन्होंने कहा, ''2012 में नैशनल सिलेक्टर की हैसियत से मैं धोनी को कप्तानी से हटाना चाहता था लेकिन तब के BCCI अध्यक्ष श्रीनिवासन ने ऐसा नहीं करने दिया.'' इस बात का ज़िक्र वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई की किताब ''Democracy's XI'' में हुआ है.
भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान कौन होगा?
क्रिकइंफ़ो(espncricinfo) में प्रकाशित किताब के अंशों के मुताबिक़ मोहिंदर अमरनाथ ने राजदीप को बताया कि वह धोनी को कप्तान के पद से हटाना चाहते थे लेकिन श्रीनिवासन उनके बचाव मे आ गए. उन्होंने कहा, 'हमें बताया गया कि सिलेक्टर्स नहीं बल्कि बोर्ड अध्यक्ष तय करेगा कि भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान कौन होगा.'
वीटो के अधिकार का इस्तेमाल किया श्रीनिवासन ने
इस बारे में पूछे जाने पर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवासन ने कहा, 'हां, ये सही है कि मैंने अपने वीटो के अधिकार का इस्तेमाल कर धोनी को कप्तानी से हटाने के फ़ैसले को बदल दिया था. आप किसी को कप्तानी से कैसे हटा सकते हैं जिसने कप्तान बनने के साल भर के अंदर ही विश्व कप जीता हो ?' श्रीनिवासन का ये मानना कि उन्होंने धोनी को कप्तानी से हटाने के फ़ैसले को वीटो किया था, बहुत महत्वपूर्ण है. ये इस बात की पुष्टि करता है कि भारतीय कप्तान और क्रिकेट बोर्ड के चीफ के बीच 'ख़ास रिश्ता' था जो एक सामान्य खिलाड़ी-अधिकारी के रिश्तों से अलग था.
ग़ौरतलब है कि IPL के शुरुआती दिनों में धोनी-श्रीनिवासन के संबंध फले फूले थे. तब धोनी को चेन्नई सुपर किंग्स का कप्तान बनाया गया था. ये चुनाव कुछ अजीब सा था क्योंकि हिंदी भाषी क्षेत्र का एक खिलाड़ी तमिल भाषी क्षेत्र का चहेता बन गया था. धोनी ने इस बारे में हंसते हुए कहा, 'ये हिंदी फ़िल्मों की तरह था जहां उत्तर भारत का एक लड़का दक्षिण भारत की एक लड़की से मिलता है और उसे उससे प्यार हो जाता है.'
CSK ने दी थी धोनी को बाइक
श्रीनिवासन के अनुसार, 'चेन्नई के लोग क्रिकेट को गंभीरता से लेते हैं. धोनी ने बहुत जल्दी हमारी क्रिकेट संस्कृति को आत्मसात कर लिया और वह टीम की सफलता का आधार बन गए. धोनी जब चेन्नई सुपर किंग्स में शामिल हुए तब हमने उन्हें उपहार में एक बाइक दी. धोनी चेन्नई की सड़कों पर ये बाइक चलाया करते थे, ट्रेफ़िक लाइट पर रुकते थे और वहां से गुज़रने वालों को देखकर मुस्कुरा देते थे.'
लेकिन श्रीनिवासन के रहते बोर्ड पर IPL के दैरान चेन्नई के खिलाड़ियों पर ज़्यादा ही मेहरबान रहने के भी आरोप लगते रहे हैं. ललित मोदी का दावा है कि श्रीनिवासन ने 2010 में ऑक्शन के बग़ैर धोनी को चेन्नई का स्टार खिलाड़ी का दर्जा बरक़रार रखने के लिए जबाव डाला था. 'ये ग़ैरक़ानूनी था क्योंकि स्टार खिलाड़ी का दर्जा सिर्फ़ तीन साल के लिए था लेकिन फिर भी श्रीनिवासन ने ऐसा किया.'
धोनी-श्रीनिवासन की दोस्ती खेल के मैदान से बाहर भी फली-फूली
धोनी-श्रीनिवासन की दोस्ती खेल के मैदान से बाहर भी फली-फूली. 2013 में ख़बरें आईं थीं कि स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी Rhiti Sports, जिसमें धोनी का खाफी पैसा लगा था, चेन्नई सुपर किंग्स और भारतीय खिलाड़ियों के अनुबंध की देख-रेख करती है. ये हितों का टकराव था क्योंकि कोई कप्तान जिसकी खिलाड़ियों के चयन में अहम भूमिका होती है, उसकी कंपनी कैसे खिलाड़ियों के कारोबार को देख सकती है?
ये कंपनी धोनी ने बिहार रणजी ट्राफी के करीबी दोस्च अरुण पांडे के साथ मिलकर बनाई गई थी. पांडे धोनी का सारा कोराबार देखते हैं. 2014 तक इस कंपनी की कमाई एक अरब 94 करौड़ रुपये हो गई थी और विज्ञापन से कमाई एक अरब 68 करौड़ हो गई थी. धोनी का कहना है कि उन्हें पैसे से कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन किसी ज़माने में धोनी के कॉंट्रेक्ट देखने वाले कोलकता के मार्किटिंग कंसलटेंट जीत बैनर्जी का कहना है- 'धोनी के मीठी-मीठी बातों पर न जाएं. जब बात पैसे की होती है, धोनी निर्दयी हो सकते हैं. उन्होंने मेरे पऔर मेरे परिवार के पीछे पुलिस लगा दी थी.'
आपको बता दें कि धोनी और बैनर्जी के बीच क़ानूनी लड़ाई चली थी.