नई दिल्ली। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीएसए) के लोकपाल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बदर दुर्रेज अहमद ने डीडीसीए के निलंबित सचिव विनोद तिहाड़ा को ‘दुर्व्यवहार और अनुशासनहीनता’ का दोषी पाया है जो ‘संघ के हितों के लिए नुकसानदायक’ था।
संयुक्त सचिव राजन मनचंदा ने तिहाड़ा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी जिस पर लोकपाल ने अपना फैसला सुनाया। तिहाड़ा को 12 अगस्त को अवैध सर्कुलर जारी करने के लिए निलंबित किया गया था जिसमें उन्होंने पेशेवर अधिकारियों की नियुक्ति रोकने और विभिन्न क्रिकेट समितियों को रद्द करने की मांग की थी और साथ ही कर्मचारियों से अपील की थी कि वह पदाधिकारियों के निर्देश नहीं मानें।
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लोकपाल ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा कि पहली बात तो डीडीसीए के सचिव के पास ऐसा कोई अधिकार या ताकत नहीं थी कि वह इस तरह का निर्देश जारी करें। बोर्ड के लिखित नियमों में ऐसा कोई जिक्र नहीं है। लोकपाल ने साथ ही कहा कि निर्देश बोर्ड के प्रस्तावों के खिलाफ थे और इससे भी अधिक स्तब्ध करने वाला यह है कि वह स्वयं बोर्ड के प्रस्तावों के हितधारक थे और 12 अगस्त 2018 को सर्कुलर जारी करके इन्हें रद्द करने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति अहमद जिस प्रस्ताव का संदर्भ दे रहे हैं उस पर तिहाड़ा ने 29 जुलाई को हुई बैठक के दौरान हस्ताक्षर किए थे। लोकपाल ने तीसरी टिप्पणी यह की कि बोर्ड का एक अकेला सदस्य कानून को अपने हाथों में नहीं ले सकता और कंपनी के संचालन को ठप्प करने का प्रयास नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति अहमद ने कहा कि विभिन्न क्रिकेट और चयन समितियों को बर्खास्त करने का प्रयास करके तिहाड़ा का एकमात्र इरादा डीडीसीए के संचालन में बाधा पहुंचाना था।