नई दिल्ली। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के लोकपाल न्यायाधीश दीपक वर्मा (सेवानिवृत) ने साफ कर दिया है कि जैसे ही स्थिति सामान्य होती है और सरकार द्वारा लॉकडाउन में राहत दी जाती है तो वह जल्दी से जल्दी खाली पड़े पदों के लिए चुनाव कराएंगे। अपने आदेश में लोकपाल ने कहा है कि उन्होंने फरवरी में ही अध्यक्ष पद के लिए चुनावों को कह दिया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण चीजों को रोकना पड़ा, लेकिन जैसी ही हालात सामान्य होते हैं प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
उन्होंने कहा, "मैं आप सभी के ध्यान में एक बात लाना चाहता हूं, मैंने अपने 15.02.2020 के आदेश में कहा था कि डीडीसीए के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जाएंगे। इसके बाद कोषाध्यक्ष का पद भी खाली हो गया। यह आदेश दिया गया था कि अध्यक्ष पद के साथ इस पद के लिए भी चुनाव आयोजित किए जाएंगे। इसलिए चुनाव आयुक्त के पूर्व आयुक्त नवीन चावला से चुनाव अधिकारी की जिम्मेदारी संभालने की अपील की गई थी।"
आदेश के मुताबिक, "यह सभी चीजें आसानी से हो जाती लेकिन तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस के कारण 25.03.2020 से लॉकडाउन लागू कर दिया गया जो अभी तक जारी है। कोई नहीं बता सकता कि यह कब खत्म होगा। इसलिए चुनाव प्रक्रिया बाधित हुई, लेकिन यह साफ कर दिया जाना सही होगा कि जैसे ही हालात सामान्य होंगे, चुनाव जल्द से जल्द आयोजित किए जाएंगे ताकि डीडीसीए संघ के अनुच्छेद और भारतीय कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक चल सके।"
लोकपाल ने साथ ही संयुक्त सचिव राजन मनचंदा को हटाने के आदेश दे दिए हैं जिनका कारण 29 दिसंबर 2019 को किया गया उनका व्यवहार है। लोकपाल के मुताबिक मनचंदा के व्यवहार के कारण ही डीडीसीए की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में लड़ाई हुई। लोकपाल ने जनरल बॉडी से उनके आदेश पर ध्यान देने और फैसले को मंजूर करने को कहा है।
लोकपाल ने अपने आदेश में कहा, "मेरे जेहन में इसे लेकर कोई सवाल नहीं है कि राजन मनचंदा का 29-12-20 को किया गया व्यवहार हंगामे का कारण था। इस तरह का व्यवहार एजीएम में नहीं होना चाहिए वो भी डीडीसीए के संयुक्त सचिव के द्वारा। मैं जनरल बॉडी को यह सुझाव दे रहा हूं, चूंकि मनचंदा को जनरल बॉडी द्वारा निदेशक के तौर पर चुना गया था और इसलिए जनरल बॉडी को ही उनको हटाना का फैसला लेना चाहिए।"
आदेश में आगे कहा गया है, "इसलिए मैं यह निर्देश देता हूं कि यह आदेश जनरल बॉडी के सामने (या तो विशेष बैठक या एजीएम, जो भी पहले आए) एजेंडा के तौर पर रखा जाए और अंतिम फैसला जनरल बॉडी द्वारा लिए जाना चाहिए तब तक क्लॉज (6)(5), 7(सी), और 7 (डी) के अंतर्गत उन्हें संयुक्त सचिव और डीडीसीए की किसी भी तरह की समिति के सदस्य के तौर पर जनरल बॉडी द्वारा लिए जाने वाले अंतिम फैसले तक काम करने से रोका जाता है।"
डीडीसीए के एक अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए लोकपाल के फैसले की तारीफ की और इसे वक्त की जरूरत बताया।
उन्होंने कहा, "लोकपाल द्वारा लिया जाने वाला यह फैसला स्वागत योग्य है। उन्होंने सही तरीके से राजन मनचंदा के हटाने के फैसले को जनरल बॉडी के हाथों में छोड़ दिया। मनचंदा को त्तकाल प्रभाव से काम करने से रोकने के साथ ही उन्होंने ऐसे लोगों को अपनी कुर्सी के गलत इस्तेमाल करने से भी रोक दिया। अब नए तरह से चुनाव होने चाहिए।"