क्रिकेट को वैसे तो दुनिया का दूसरे सबसे लोकप्रिय खेल कहा जाता है। लेकिन इसकी लोकप्रियता को फुटबॉल, एफ1 और बास्केटबॉल से कड़ी टक्कर मिलती है। इसके अलावा क्रिकेट का खेल नये दर्शकों या देशों को अपने साथ जोड़ने में नाकाम रहा है। पारंपरिक देशों को छोड़ दिया जाए तो क्रिकेट को ज्यादा दर्शक नहीं मिल पाए हैं। लेकिन अब आईसीसी इस खेल को पारंपरिक देशों के अलावा बाकी देशों में भी बढ़ावा देने के लिए गंभीर नजर आ रहा है। इसके अलावा आईसीसी भारत के ऊपर से अपनी निर्भरता कम करने के लिए चीन और ओलंपिक का सहारा लेने की तैयारी में है। आईसीसी और बीसीसीआई के बीच रिश्ते कैसे हैं ये किसी से भी छिपा नहीं है लेकिन अब आईसीसी चाहता है कि क्रिकेट के खेल की भारत के ऊपर से निर्भरता खत्म हो या कम हो जाए।
आखिरी बार क्रिकेट ओलंपिक का हिस्सा 1900 में था। इसके बाद से लेकर अब तक एक बार भी क्रिकेट दोबारा खेलों के इस महाकुंभ में शामिल नहीं हो सका। लेकिन अब जाइल्स क्लार्क क्रिकेट को ओलंपिक में जगह दिलाने में लगे हैं। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने मामले पर बोलते हुए कहा, 'जब बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा, उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।' आईसीसी का मानना है कि क्रिकेट के खेल को चीन में ले जाने से वित्तीय मदद मिलेगी और इसके जरिए उन्हें भारत के अलावा भी दूसरा मार्केट मिल जाएगा।
मामले पर बोलते हुए सीओए के अध्यक्ष विनोद राय ने कहा, 'जब 1998 में कुआला लंपुर में राष्ट्रमंडल खेल हुए थे तो बीसीसीआई ने भारतीय टीम को उसमें शामिल होने भेजा था। इसलिए बीसीसीआई इसमें पीछे नहीं रहती कि खेलों के महाकुंभ में वो अपनी टीम ना भेजे। लेकिन वो क्यों रुक गए, इसका हमें पता नहीं। अगर क्रिकेट का खेल ओलंपिक में शामिल होता है तो आईसीसी को टी20 विश्व कप के लिए समय निकालना होगा ताकि टी20 विश्व कप और ओलंपिक एक ही साथ ना आयोजित हों।'