भारत के पूर्व बल्लेबाज मोहम्मद कैफ ने भारतीय क्रिकेट टीम के पहले दो विदेशी कोच जॉन राइट और ग्रेग चैपल की कोचिंग तरीकों के बारें में बयान दिया है। दोनों कोचों की निगरानी में खेलने वाले कैफ ने कहा कि चैपल हेड कोच के बजाय भारत के बल्लेबाजी कोच के रूप में ज्यादा बेहतर होते और भारतीय संस्कृति को समझने में उनकी यही अक्षमता टीम के हित में काम नहीं आई।
जॉन राइट को 2000 से 2005 तक भारतीय क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया गया था और उनके कार्यकाल में भारत ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट जीत दर्ज की जबकि 2002 में नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल जीतकर इतिहास रचा। इसके एक साल बाद दक्षिण अफ्रीका में टीम इंडिया 20 साल बाद विश्व कप के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रही।
T20 विश्व कप स्थगित होने पर IPL के आयोजन के पक्ष में पैट कमिंस
राइट के जाने के बाद चैपल के कार्यकाल में भारतीय टीम ने काफी खराब प्रदर्शन किया कप्तान सौरव गांगुली विवादों के केंद्र में रहे। इतना ही नहीं, भारतीय टीम को साल 2007 में खेले गए वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में बांग्लादेश का हाथों हारकर बाहर होना पड़ा।
कैफ ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बीतचीत में कहा, “चैपल एक अच्छा बल्लेबाजी कोच हो सकता थे। लेकिन उन्होंने अपना नाम खराब कर लिया, क्योंकि वह टीम को ठीक से नहीं चला पाए वे भारतीय संस्कृति को नहीं समझ पाए और उनके पास अच्छे मैन-मैनेजमेंट कौशल की कमी थी और इसलिए वे एक अच्छे कोच साबित नहीं हुए।"
उन्होंने कहा, "लोगों ने जॉन राइट का सम्मान किया क्योंकि उन्होंने खिलाड़ियों के साथ अच्छा तालमेल बिठाया और गांगुली को कप्तान के तौर टीम का नेतृत्व करने दिया।"
कैफ पहले क्रिकेटर नहीं है जिसने चैपल के तरीकों की आलोचना की है। इससे पहले स्पिनर हरभजन सिंह भी ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर को "दोहरे चेहरे वाला व्यक्ति" बता चुके हैं और हाल ही में चैपल के कार्यकाल को भारतीय क्रिकेट का सबसे खराब दौर करार दिया था।