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क्या 'शराब' की ब्रिकी से बेहतर विकल्प हो सकता है देश में खेल आयोजन को बहाल करना ?

साल 2008 में शुरू होकर आईपीएल ने 13 साल पूरे कर लिए हैं और हर साल यह लीग उंचाई की ओर ही बढ़ता गया है। इस लीग के कारण ही आज भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड खेल जगत में धन कुबैर बनकर बैठा है लेकिन साल 2020 में इस पर मानों ग्रहण सा लग गया है।

Written by: Jitendra Kumar @jitendrak23
Updated : May 08, 2020 14:53 IST
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Image Source : TWITTER Indian Cricket team

भारत में गर्मियों का मौसम काफी चहल पहल का होता है। मार्च महीने की समाप्ति के साथ ही मौसम की तपिश महसूस होने लगती है। इसके साथ ही अप्रैल में लोग नईं उम्मीदों के साथ एक नई शुरुआत करते हैं। इसी महीने से सरकार के नए बही खाते की शुरुआत होती है। खेती किसानी करने वाले लोग लंबे इंतजार के बाद अपने-अपने फसलों की कटाई कर अनाज को घर लाते हैं। इसी गर्मी के मौसम में हिंदू कैलेंडर के अनुसार नया साल भी शुरू आता है। इतना ही नहीं, भारतीय खेल संस्कृति का अहम हिस्सा बन चुकी इंडियन प्रीमियर लीग भी इसी मौसम में शुरु होता है।

साल 2008 में शुरू होकर आईपीएल ने 13 साल पूरे कर लिए हैं और हर साल यह लीग उंचाई की ओर ही बढ़ता गया है। इस लीग के कारण ही आज भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड खेल जगत में धन कुबेर बनकर बैठा है लेकिन साल 2020 में इस पर मानों ग्रहण सा लग गया है। यह ग्रहण है कोरोना वायरस का। चीन के वुहान शहर से फैले इस वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया और लाखों लोग इसके कारण काल के गाल में समा गए। इस वायरस पर अभी भी काबू नहीं पाया जा सका है। यही कारण है कि सब कुछ रुक सा गया है और दुनियाभर में सभी तरह के खेल आयोजन स्थगित कर दिया गया।

इंडियन प्रीमियर लीग के 13वें सीजन की शुरुआत 29 मार्च से होने वाली थी लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण इसे पहले 15 अप्रैल तक के लिए स्थगित किया लेकिन हालात और बिगड़ते चले गए जिसके कारण हार मानकर आईपीएल और बीसीसीआई ने इसे अनिश्चित काल के लिए टाल दिया। हालांकि इसके बावजूद अगर कोरोना संक्रमण का प्रसार नहीं रुकता है तो इसे आखिर में स्थायी रूप से स्थगित करना पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो बीसीसीआई की कमाई को भी बड़ा धक्का लगेगा। पिछले एक दशक में दुनियाभर में खेल जगत से होने वाली कमाई से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।

बीसीसीआई को हो सकता है पांच हजार करोड़ का नुकसान

यह बात जग जाहिर है कि विश्व क्रिकेट में बीसीसीआई का कितना दबदबा है। दुनिया के सभी बड़े क्रिकेट नेशन बीसीसीआई की बात नहीं टाल पाते हैं। इतना ही नहीं क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था आईसीसी भी इसके प्रभाव से नहीं बच पाई है। इसका सबसे बड़ा कारण है, पैसा। भारत में क्रिकेट सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि यह एक बिजनेस मॉडल बन चुका है।

हर साल बीसीसीआई सिर्फ आईपीएल से हजारों करोड़ की कमाई करती है। इसके अलावा अगल-अलग आईसीसी टूर्नामेंट और बायलेटरल सीरीज से होने वाली कमाई भी इसमें शामिल है।

बीसीसीआई की मौजूदा वेल्यू 11 हजार करोड़ से भी अधिक का है लेकिन अगर कोरोना वायरस के कारण यह आईपीएल का यह सीजन रद्द हो जाता है तो सिर्फ इस साल बीसीसीआई को लगभग 5 हजार करोड़ से भी अधिक का नुकसान झेलना पड़ सकता है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा ब्रॉडकास्ट का है साथ ही विज्ञापन और अन्य तरह की कमाई अलग से होती है। इस कमाई का एक बड़ा हिस्सा सरकार के पास भी जाता है। ऐसे में बीसीसीआई आईपीएल के आयोजन को लेकर हर तरह के विकल्प पर विचार करना चाह रही होगी।

अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित हो सकता है खेल की बहाली

सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के तमाम छोटे-बड़े देश खेल को फिर से बहाल करने पर विचार कर रहें है। क्योंकि इस मुश्किल परिस्थिति में जब उद्योग धंधे ठप्प पड़ चुके हैं, ऐसे में खेल की शुरुआत अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित हो सकता है।

लगातार बिगड़ते हुए खराब हालात को देखकर जर्मनी की सरकार ने अपने देश में बुंदेशलीगा फुटबॉल लीग खेलने की मंजूरी दे दी है। हालांकि इस दौरान स्टेडियम में दर्शकों की मौजूदगी नहीं रहेगी और सभी तरह के सुरक्षा मानकों को ध्यान में रख कर ही मुकाबले खेले जाएंगे। 

इसके अलावा क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने देश में इसी साल होने वाले टी-20 विश्व कप और भारतीय टीम के दौरे के लिए नए विकल्प की तलाश में जुट चुका है ताकि किसी भी तरह से आईसीसी का यह टूर्नामेंट और भारत के साथ टेस्ट सीरीज खेला जा सके।

कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर के क्रिकेट बोर्ड और फेडरेशन की चिंता बढ़ी हुई है। इससे जुड़े लोगों की तनख्वाह में कटौती हो रही है। लोगों को नौकरियों से निकाला जा रहा है। खिलाड़ियों के करार को खत्म किया जा रहा है। ऐसे में इस वायरस को स्वीकार कर सुरक्षा साधनों के बूते एक बार फिर से खेल को बहाल करना ही कहीं ना कही अब आखिरी विकल्प बचा है।

भारत के लिए कितना जरूरी है खेल

कोरोना वायरस के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है। राज्य सरकारों की आय पर भी इसका बड़ा असर दिखा है। यही कारण हैं कि केंद्र सरकार ने अपने तीसरे लॉकडाउन में उन चीजों पर भी छूट या बिक्री की अनुमति दी जो जरूरी समानों की सूची में नहीं आता है। इसमें खास तौर से शराब की ब्रिकी शामिल है। कर्नाटक में तो एक दिन में 140 करोड़ के शराब की बिक्री देखी गई | इसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।

हालांकि इससे बेहतर विकल्प खेल को फिर से बहाल करना हो सकता है। इसमें कम जोखिम के साथ अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की भरपूर क्षमता है। जब तक कोरोना वायरस का असर खत्म नहीं हो जाता है तब तक सुरक्षा के सभी मानकों को पूरा करते हुए खेल को फिर से बहाल किया जा सकता है।

इसमें सबसे बेहतर विकल्प यह है कि बिना दर्शकों के मुकाबले शुरू किए जा सकते हैं। इससे कोरोना संक्रमण का खतरा कम से कम रह जाएगा। खेल आयोजन के शुरू होने से सरकार को कई तरह से फायदा पहुंचा सकता है।

खेलों को फिर से बहाल किए जाने पर ब्रॉडकास्टिंग, विज्ञापन, होटल और यातायात साधनों से जुड़े लोगों को काफी राहत मिलेगी। खेल के साथ ही इससे जुड़े लोगों के रोजगार की भी बहाली होगी और साथ बोर्ड, फेडरेशन और सरकार को आर्थिक रूप से एक सहारा भी मिलेगा। वहीं कुछ हद तक इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की नौकरियों और आर्थिक चिंताओं को भी दूर करने में मदद मिल सकती है।

 

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