एडिलेड। भारतीय टीम के यॉर्कर विशेषज्ञ जसप्रीत बुमराह की गैर मौजूदगी में टीम प्रबंधन ने यह जिम्मेदारी नयी गेंद के उनके जोड़ीदार भुवनेश्वर कुमार को सौंपी है। भुवनेश्वर ने नेट्स पर स्टम्प के नीचे जूते रखकर अभ्यास किया ताकि दूसरे वनडे से पहले यॉर्कर परफेक्ट कर सके।
बुमराह की तरह वह यॉर्कर नहीं फेंकते हैं लेकिन स्लॉग ओवरों में पिटाई से बचने के लिये इस पर मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा,‘‘यॉर्कर फेंकने के लिये अलग तरह के कौशल की जरूरत होती है। मैं जूतों पर यॉर्कर डालने का अभ्यास कर रहा था। स्लॉग ओवरों में विकेट लेने और रन रोकने के लिये मैने यह अभ्यास किया।’’
उन्होंने कहा कि टेस्ट मैच से बाहर रहने के दौरान वह यॉर्कर डालने का अभ्यास नहीं कर रहे थे क्योंकि पांच दिनी क्रिकेट में इस गेंद का इस्तेमाल अमूमन नहीं होता है।
उन्होंने कहा,‘‘मैने एक महीने तक इसका अभ्यास नहीं किया। टेस्ट में इसकी जरूरत नहीं होती और मैने मैच नहीं खेला। वनडे और टी20 में इसकी जरूरत पड़ती है।’’
लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलने से किसी भी गेंदबाज की लय बिगड़ सकती है और तेज गेंदबाज भुवनेश्वर सिंह को यह सबक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में मिला जिसमें उन्होंने 66 रन दे डाले। टेस्ट टीम का हिस्सा रहे भुवनेश्वर को चार मैचों की श्रृंखला में अंतिम एकादश में जगह नहीं मिली। वह पहले वनडे में लय में नहीं दिखे।
यह पूछने पर कि एक महीने तक प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेलने का असर हुआ है क्या, उन्होंने कहा, ‘‘इसका असर मेरी लय पर पड़ा है। मैच लय गेंदबाजी में बिल्कुल अलग होती है। मैं नेट्स पर लय में गेंदबाजी की कोशिश कर रहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैच हालात से तुलना करने पर यह सौ फीसदी नहीं हो सकती। सिडनी में वह मैच लय नहीं थी लेकिन उतना बुरा भी नहीं था। यह बेहतर हो जायेगी।’’ एक महीने से भुवनेश्वर काफी मेहनत कर रहे थे ताकि मैच लय हासिल कर सकें।