पूर्व स्टार खिलाड़ी बेलिंडा क्लार्क और इयान बिशप को लगता है कि महिला क्रिकेट का ध्यान तब तक लिमिटेड ओवरों के फॉर्मेट पर होना चाहिए जब तक 10-15 टीमें बेहतरीन टी20 मैच खेलना शुरू नहीं कर देतीं, लेकिन टेस्ट को भी नहीं भूलना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने प्रत्येक पूर्ण सदस्यीय देश की महिला टीम को टेस्ट का दर्जा दिया हुआ है।
बांग्लादेश, जिम्बाब्वे, आयरलैंड और अफगानिस्तान जैसे देश भी भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, श्रीलंका, वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड के साथ लंबे प्रारूप में खेलने के लिये जुड़ गये हैं। ऑस्ट्रेलिया की पूर्व कप्तान क्लार्क ने सोमवार को कहा, ‘‘मुझे लगता है कि महिलाओं के क्रिकेट का ध्यान 20 से 50 ओवर के छोटे प्रारूपों में जारी रखना चाहिए। ’’
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उन्होंने यह बात ‘100% क्रिकेट फ्यूचर लीडर्स प्रोग्राम’ के लांच के मौके पर आयोजित वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमारा उद्देश्य खेल को वैश्विक रूप से फैलाने का है और टीमों में गहराई लाने का है जो अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं तो आपको फोकस करने की जरूरत है और यह निश्चित प्रारूपों में ही होना चाहिए। ’’
वहीं वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज और अब कमेंटेटर बिशप को लगता है कि फोकस सफेद गेंद के क्रिकेट में बढ़ने का होना चाहिए, हालांकि टेस्ट को भी नहीं भूलना चाहिए क्योंकि कई युवा महिला खिलाड़ी लंबे प्रारूप में खेलने की ख्वाहिश रखती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह भी सही है कि फोकस कहां सबसे ज्यादा होना चाहिए लेकिन मैं जानता हूं कि कई युवा खिलाड़ी टेस्ट मैच खेलने की इच्छा रखती हैं। दुभाग्य से महिलायें ज्यादातर देशों में टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलती हैं। ’’
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बिशप ने कहा, ‘‘उम्मीद करते हैं कि हम इन महिलाओं के सपने और इच्छायें पूरी करने में कामयाब होंगे। मुझे लगता है कि यह चलायमान यात्रा है और इसे सिर्फ सफेद गेंद के क्रिकेट तक ही नहीं रूक जाना चाहिए। ’’