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बहादुर सिंह ने 25 साल बाद छोड़ा एथलेटिक्स के मुख्य कोच का पद, AFI ने की तारीफ

भारतीय एथलेटिक्स के मुख्य कोच बहादुर सिंह को 25 साल तक सेवा देने के बाद अपने पद से हटना पड़ा चूंकि भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के साथ उनका अनुबंध समाप्त हो गया है।

Reported by: Bhasha
Published on: July 07, 2020 17:16 IST
बहादुर सिंह ने 25 साल...- India TV Hindi
Image Source : @AFIINDIA बहादुर सिंह ने 25 साल बाद छोड़ा भारतीय एथलेटिक्स के मुख्य कोच का पद, AFI ने की तारीफ 

नई दिल्ली। भारतीय एथलेटिक्स के मुख्य कोच बहादुर सिंह को 25 साल तक सेवा देने के बाद अपने पद से हटना पड़ा चूंकि भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के साथ उनका अनुबंध समाप्त हो गया है और आयु नियमों के आधार पर उनके करार को आगे नहीं बढ़ाया गया। एशियाई खेलों में दो स्वर्ण पदक (1978, 1982) जीतने वाले 74 साल के इस कोच का अनुबंध 30 जून को समाप्त हुआ और खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिविरों में कोचों की ऊपरी आयु सीमा 70 तक रखने के अपने दिशानिर्देशों के मुताबिक इसे आगे नहीं बढ़ाया।

भारत में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य कोचों में एक बहादुर सिंह का कार्यकाल फरवरी 1995 में शुरू हुआ था। इस खबर की पुष्टि करते हुए भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता और फिर मुख्य कोच के तौर पर उनके योगदान की सराहना की।

एएफआई के अध्यक्ष आदिले सुमरिवाला ने कहा, ‘‘ जब हम वैश्विक मंच पर अपनी यात्रा देखते है तो हम भारतीय एथलेटिक्स में बहादुर सिंह के अपार योगदान को हमेशा याद करेंगे। उन्होंने 70 और 80 के दशक के शुरुआती दौर में गोला फेंक खिलाड़ी के रूप में और फिर फरवरी 1995 से मुख्य कोच के रूप में योगदान दिया है।’’ 

यहां जारी विज्ञप्ति में उन्होंने कहा, ‘‘ हम ओलंपिक खेलों में टीम के साथ उन्हें देखना चाहते थे लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण तोक्यो ओलंपिक स्थगित करने पड़े । हम प्रशिक्षण और कोचिंग की योजना बनाने उनके अनुभव का फायदा उठाने जारी रखेंगे।’’ 

विज्ञप्ति ने हालांकि कहा गया, सिंह ने गृह मंत्रालय की वरिष्ठ नागरिकों के आवाजाही को प्रतिबंधित करने की सलाह के मद्देनजर इस्तीफा दिया है। उनकी देखरेख में भारत ने 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के एथलेटिक्स में दो स्वर्ण सहित 12 पदक हासिल किये थे। उनके रहते भारत ने जकार्ता 2018 एशियाई खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया ट्रैक और फील्ड प्रतियोगिता आठ स्वर्ण और नौ रजत सहित 20 पदक जीते।

एएफआई योजना और कोचिंग समिति के अध्यक्ष ललित भनोट ने कहा, ‘‘ एशियाई खेलों में देश के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ने खेल समुदाय में यह विश्वास पैदा किया कि थोड़ी अधिक योजना और प्रयास के साथ भारत अपने स्तर को ऊंचा उठा सकता है और वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ सकता है। बहादुर जी ने इस उत्थान में योगदान दिया।’’

एएफआई के सूत्रों ने कहा कि सिंह अभी भी एक सलाहकार की भूमिका में भारतीय एथलेटिक्स से जुड़ सकते हैं। सिंह ने 1978 के बैंकॉक और 1982 के दिल्ली एशियाई खेलों में गोला फेंक में लगातार दो स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने इससे पहले 1974 में तेहरान में रजत पदक जीता था।

उन्होंने एशियाई ट्रैक एवं फील्ड मीट में भी पदक चार पदक जीते जिसमें 1973 में कांस्य, 1975 में स्वर्ण, 1979 में कांस्य और 1981 में रजत पदक जीता था। उन्होंने मास्को ओलंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें 1976 में अर्जुन पुरस्कार और 1998 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1983 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। 

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