भारतीय पूर्व कप्तान और मौजूदा विकेट कीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी आज अपना 39वां जन्मदिन मना रहे हैं। झारखंड, रांची से आए इस खिलाड़ी ने दिसंबर 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ भारत के लिए डेब्यू किया था। धोनी के करियर की शुरुआत ज्यादा खास नहीं रही थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने लंबे बाल और तूफानी बल्लेबाजी से वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बना ली थी। धोनी ने टीम इंडिया की अगुवाई सबसे पहले टी20 वर्ल्ड कप 2007 में की थी। उस समय टीम में वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह और अजीत अगरकर ही सीनियर खिलाड़ी मौजूद थे।
युवा सितारों से सजी उस टीम से किसी को सेमीफाइनल तक पहुंचने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन धोनी ने अपने शांत और चतुर कप्तानी से ना ही टीम इंडिया को नॉकआउट मुकाबलों तक पहुंचाया बल्कि फाइनल में चिर-प्रतिद्वंदी टीम पाकिस्तान को मात देकर विश्व विजेता भी बनाया।
इस टूर्नामेंट से भारत ही नहीं पूरी दुनिया में धोनी की कप्तानी के चर्चे होने लगे थे। राहुल द्रविड़ उस समय अपनी कप्तानी का पद छोड़ चुके थे, तब सचिन तेंदुलकर ने धोनी को वनडे टीम का कप्तान बनाने की सिफारिश की थी। कहा जाता है कि तत्कालीन बीसीसीआई प्रेसिडेंट शरद पवार ने सचिन तेंदुलकर से पूछा कि क्या वो कप्तानी करने के इच्छुक हैं, तो इस पर सचिन ने धोनी के नाम का सुझाव दिया। वहीं राहुल द्रविड़ से जब पूछा गया तो उन्होंने भी एम एस धोनी का ही नाम लिया।
टी20 वर्ल्ड कप जीतने के 5 दिन बाद ही धोनी को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 7 मैच की वनडे सीरीज में कप्तानी करने का मौका मिला। हालांकि भारत यह सीरीज 4-2 से हारा गया था। वहीं टेस्ट क्रिकेट में धोनी ने पहली बार 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर टेस्ट में कप्तानी की थी। इस टेस्ट से पहले अनिल कुंबले चोटिल हो गए थे और उन्होंने अपने संन्यास का भी ऐलान कर दिया था। धोनी ने आखिरी टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को मात देकर बॉडर गावस्कर ट्रॉफी में 2-0 से जीती थी।
धोनी ने इसके बाद अपनी लाजवाब कप्तानी से टीम इंडिया को शिखर तक पहुंचाया। धोनी की कप्तानी में भारत ने न्यूजीलैंड को उसी के घर पर 2009 में टेस्ट सीरीज हराई थी, वहीं 2008 में ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज पर भी कब्जा किया था। धोनी ने अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को 2009 में आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 पर भी पुहंचाया। 2010 टी20 वर्ल्ड कप धोनी और टीम इंडिया के लिए खास नहीं रहा था। इस वर्ल्ड कप में भारत ने मात्र दो ही मैच जीते थे और ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गया था।
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लेकिन इसके बाद टीम इंडिया ने 2011 वर्ल्ड कप में जोरदार वापसी की और फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से मात दी। इस मैच में धोनी ने 91 रनों की नाबाद कप्तानी पारी खेली थी। इस वर्ल्ड कप के बाद सचिन तेंदुलकर ने धोनी पर प्रशंसा की, जिसके तहत उन्होंने सबसे अच्छा कप्तान होने का दावा किया। तेंदुलकर ने साथ ही धोनी ने दबाव को संभालने के लिए अविश्वसनीय बताया था।
धोनी को उनके बेबाक फैसलों के लिए भी जाना जाता है। कई बार धोनी ने अपनी कप्तानी में ऐसे फैसले लिए थे जिसे देखकर हर कोई चौंक गया था लेकिन इमें अधिकर फैसले उनके पक्ष में ही होते थे। इसमें वर्ल्ड कप 2007 में जोगिंदर शर्मा से आखिरी ओवर करवाना हो, वर्ल्ड कप 2011 में युवराज सिंह से ऊपर बल्लेबाजी करना हो या फिर रोहित शर्मा को मिडल ऑडर बल्लेबाज से सलामी बल्लेबाज बनाना। धोनी ने कभी अपने फैसलों पर संदेह नहीं किया जिस वजह से उनके फैसले सफल रहें।
मार्च 2013 में, धोनी सबसे सफल भारतीय टेस्ट कप्तान बने जब उन्होंने सौरव गांगुली के 49 टेस्टों में से 21 जीत के रिकॉर्ड को तोड़ा। जून 2013 में, भारत ने धोनी की कप्तानी में इंग्लैंड को मात देकर 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती। इसी के साथ वर्ल्ड क्रिकेट में धोनी ने इतिहास रच दिया था। धोनी वर्ल्ड क्रिकेट में ऐसे पहले कप्तान बने थे जिन्होंने आईसीसी के सभी खिताब जीते हों। 2013 में धोनी की ही कप्तानी में टीम इंडिया 40 से अधिक वर्षों में पहली ऐसी टीम बनी थी जिसने ऑस्ट्रेलिया का टेस्ट सीरीज में सूपड़ा साफ किया था।
धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को कई और अहम जीत भी दिलाई थी। धोनी ने टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी दिसंबर 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बीच में ही कप्तानी के पद से हटने का और अपने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया था। वहीं वर्ल्ड कप 2019 की तैयारियों और विराट कोहली को सफल होता देख धोनी ने 5 जनवरी 2017 वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ दी थी।
धोनी ने भारत के लिए 60 टेस्ट, 200 वनडे और 72 टी20 मैचों में कप्तानी की है, जिसमें उन्होंने क्रमश: 27,110 और 41 मैच जिताए हैं। इसके अलावा धोनी को 2007, 2010 और 2013 में आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट XI का कप्तान बनाया गया था। वहीं रिकॉर्ड 8 बार उन्हें आईसीसी वनडे XI में चुना गया था, इसमें 5 बार वो टीम के कप्तान थे।