नयी दिल्ली: एशिया कप बुधवार से शुरु होने जा रहा है और पहले मैच में मेज़बान बांग्लादेश से मुक़ाबला होगा एशिया जाइंट टीम इंडिया का। हाल ही में धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया तीन टी20 मैचों की सिरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को उसी की सरज़मीं पर 3-0 से शिक़स्त देकर आई है और फिर श्रीलंका को भी घर में 3-1 से पीटा। ज़ाहिर इस लिहाज़ से उसका आत्मविश्वास सांतवें आसमान पर होना चाहिये। लेकिन क्या ये आंकलन सही है....? शायद नही।
भारत के आत्मविश्वास पर 'रहमान' का पिछला कहर भारी
तीन मैचों की वनडे सिरीज़ बांग्लादेश ने 2-1 से जीती थी और भारत के ख़िलाफ़ ये उसकी घर में सिरीज़ में पहली जीत थी। इस जीत के सबसे बड़े हीरो थे अंतरराट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले 19 साल के मुस्ताफ़िज़ुर रहमान जिन्होंने तीन मैच में कुल 12 विकेट लिये थे। पहले दो मौच में अपनी टीम को अप्रत्याशित जीत दिलाने में उनका बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने पहले मैच में पांच और दूसरे मैच में 6 विकेट लेकर टीम इंडिया की मज़बूत बल्लेबाज़ी को झकझोर दिया था।
ज़बरदस्त फॉर्म में है बांग्लादेश
टीम इंडिया के दौरे के पहले बांग्लादेश ने पाकिस्तान को 3-0 से धोया था और टीम इंडिया के बाद साउथ अफ़्रीका जैसी टीम को 2-1 से तथा ज़िंबाब्वे को 3-0 से हराया था। दरअसल बांग्लादेश के क्रिकेट की सबसे बड़ी ख़ूबी है मैच के प्रति उसका बेहिचक रवैया यानी वे खुलकर खुलकर खेलते हैं, बग़ैर नतीजे की परवाह के। एक ज़माने में खेल का बादशाह वेस्ट इंडीज़ भी इसी रवैये के साथ खेलता था। बांग्लादेश के पास शाक़िब अल हसन, तमीम इक़बाल, शब्बीर रहमान और सौमाया सरकार जैसे बल्लेबाज़ भी हैं जो अपनी ज़मीं पर खेल के इस फ़ॉरमेट में अच्छे-अच्छे गेंदबाज़ों को हैरान-परेशान करते रहे हैं और करने की क़ुव्वत भी रखते हैं।
परिस्थितियां अनुकूल-हौसले बुलंद
इसके अलावा बांग्लादेश के पक्ष में एक और बात जाती है और वो है उसके घरेलू प्रशंसक। मैच कहीं भी जा रहा हो, वे अपनी टीम का साथ नहीं छोड़ते, जीत पर जहां वे अपने खिलाड़ियों को कंधों पर बैठा लेते हैं वहीं हार पर उन्हें गले भी लगा लेते हैं। दर्शकों का ये रवैया एक टीम के मनोबल के लिए क्या एहमियत रखता है, ये टीम के सदस्यों से पूछा जाना चाहिये जिन्हें कुछ क्रिकेट प्रेमी कभी अर्श तो कभी फ़र्श पर बैठा देते हैं। इस पूरे परिदृश्य में बांग्लादेश की टीम को देखें तो यक़ीनन उसके हौंसले बुलंद होंना लाज़मी है और हाल का इतिहास इसमें चार चांद लगाता है।
अब बात करें टीम इंडिया की। शिखर धवन ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ अपने लड़खड़ाते फ़ॉर्म को स्थिर किया है और उम्मीद की जाती है कि वह इसे जारी रखेंगे। उनका बांग्लादेश में पिछली सिरीज़ में रिकॉर्ड (तीन मैच-158 रन) भी अच्छा है। इसी तरह रोहित शर्मा भी पूरे रंग में हैं हालंकि उन्होंने पिछले दौरे में सिर्फ़ एक ही पारी अच्छी खेली थी। इनके अलावा विराट कोहली, रैना, धोनी और जडेजा भी हैं जो मैच का रुख़ बदलने की क्षमता रखते हैं, ख़ासकर कोहली।
तो फिर डर किस बात का...?
कहते हैं कि कई बार आपकी प्रतिष्ठा ही आपके लिए बोझ बन जाती है और ख़ासकर तब जब हाल ही का इतिहास आपके साथ न हो। इसमें कोई दो राय नहीं कि टीम इंडिया इस समय वनडे और टी20 की बेहतरीन टीम है जिसके तरकश में वो तमाम तीर हैं जिसकी इस फ़ॉरमेट में ज़रुरत पड़ती है लेकिन अगर उसने अपनी पीठ से इस भूत को न उतारा तो मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। उसे इस मानसिकता के साथ मैदान पर उतरना होगा कि उसका मुक़ाबला एक ऐसी टीम से है जो विश्व रैंकिंग में उसके आसपास भी नहीं फ़टकती लेकिन खेलती है पूरी निर्भीकता के साथ। जी हां....ये निर्भीकता ही है जिसे टीम इंडिया को आत्मसात करना होगा यानी दुश्मन (सही मायने में नहीं) को उसी के हथियार से मात देनी होगी।