नई दिल्ली: आशीष नेहरा की गिनती टीम इंडिया के सबसे कामयाब तेज गेंदबाजों में होती है। अपने 18 साल के क्रिकेट करियर के दौरान भारतीय क्रिकेट फैंस को कई यादगार लम्हे देने वाले नेहरा ने 2004 में एक बार पाकिस्तान के जबड़े से जीत छीन ली थी। तभी से उन्हें डेथ ओवर स्पेशलिस्ट कहा जाने लगा था।
13 मार्च 2004 को कराची में दो धुर विरोधियों भारत और पाकिस्तान के बीच सिरीज़ का पहला वनडे मुकाबला खेला गया था। इस मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए राहुल द्रविड़ के 99 और वीरेंद्र सहवाग के 79 की बदौलत 349 रन बनाए। इस मैच में पाकिस्तान को जीत के लिए 350 रनों की जरूरत थी। पाकिस्तान के लिए इंजमाम उल हक और मोहम्मद युसुफ ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए मैच लगभग भारत के हाथ से छीन लिया था। लेकिन तभी 42वें ओवर में मुरली कार्तिक ने इंजमाम को पवेलियन भेजकर मैच में टीम इंडिया की वापसी करवाई।
49वां ओवर में जहीर खान ने शोएब मलिक को आउट किया और 6 रन दिए। इसके बाद आखिरी 6 गेंद पर पाकिस्तान को जीत के लिए 9 रन चाहिए थे। अब कप्तान सौरव गांगुली के पास ओवर देने के लिए सिर्फ आशीष नेहरा थे।
पहली गेंद: 50वें ओवर में आशीष नेहरा की पहली गेंद पर नावेद उल हसन कोई रन नहीं बना पाए।
दूसरी गेंद: अब 5 गेंद पर 9 रन चाहिए थे। दूसरी गेंद पर नावेद उल हसन ने एक रन ले लिया।
तीसरी गेंद: अब 4 गेंद पर 8 रन चाहिए थे। तीसरी गेंद पर मोइन खान कोई रन नहीं बना पाए।
चौथी गेंद: अब 3 गेंद पर 8 रन चाहिए। 50वें ओवर की चौथी गेंद पर मोइन खान ने एक रन लिया।
पांचवी गेंद: अब 2 गेंदों पर 7 रनों की दरकार थी। पांचवी गेंद पर फिर नावेद उल हसन ने एक रन ले लिया।
छठी गेंद: आखिरी गेंद पर पाकिस्तान को जीत के लिए 6 रन चाहिए थे। मोइन खान क्रीज पर मौजूद थे उन्होंने आखिरी गेंद पर हवा में शॉट खेला, जिसे लक्ष्मीपति बालाजी ने लपका और भारत ने रोमांचक मुकाबले में 5 रन से जीत हासिल की।
इस जीत के बाद नेहरा ने कहा था कि 'ये मेरे क्रिकेट करियर का सबसे बड़ा ओवर था, लेकिन मैं जानता था कि अगर मैं अच्छी गेंदबाजी करूं तो पाकिस्तान को इस मुकाबले में हम मात दे सकते हैं।'
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