लंदन। क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने पहले एशेज टेस्ट में कई खराब फैसलों के बावजूद टेस्ट मैचों में तटस्थ अंपायरों का समर्थन किया है। पिछले हफ्ते एजबस्टन में हुए पहले एशेज टेस्ट में वेस्टइंडीज के अंपायर जोएल विल्सन और पाकिस्तान के अलीम दार के 10 फैसलों को खिलाड़ी डीआरएस की मदद से बदलवाने में सफल रहे थे।
इसके अलावा कम से कम पांच और गलत फैसले थे जिनकी समीक्षा नहीं कराई गई। अपने 13वें टेस्ट में अंपायरिंग कर रहे विल्सन ने अनचाहे रिकॉर्ड की बराबरी की जब उनके आठ फैसलों को खिलाड़ी सफलतापूर्वक बदलवाने में सफल रहे। लेकिन इसके बावजूद एमसीसी ने जोर देकर कहा है कि तटस्थ टेस्ट अंपायरिंग आगे बढ़ते हुए सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
यहां मीडिया ने एमसीसी के क्रिकेट प्रमुख जॉन स्टीफनसन के हवाले से कहा, ‘‘पिछले मैच के बाद बेशक इस पर अधिक ध्यान गया है। रिकी पोंटिंग ने गैर तटस्थ अंपायरों को वापस लाने की संभावना का जिक्र किया है और आईसीसी क्रिकेट समिति ने भी इस पर चर्चा की है। लेकिन सभी का मानना है कि अब भी तटस्थ अंपायरिंग काम कर रही है।’’
फिलहाल एलीट पैनल के 12 में से सात अंपायर ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड से हैं और स्टीफनसन ने कहा कि मौजूदा समय की जरूरत है कि दुनिया भर में अंपायरिंग के स्तर पर अधिक निवेश किया जाए। लॉर्ड्स में एमसीसी की क्रिकेट समिति की दो दिवसीय बैठक के दौरान आईसीसी एलीट पैनल में अंपायरों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया गया।
इस बैठक में एमसीसी अध्यक्ष माइक गेटिंग, स्टीफनसन और समिति के सदस्यों शेन वार्न और कुमार संगकारा ने हिस्सा लिया। स्टीफनसन ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से आईसीसी एलीट अंपायरिंग पैनल में काफी असंतुलन है जहां निश्चित श्रृंखला में कुछ निश्चित अंपायर की अंपायरिंग करते हैं।
लेकिन हमें लगता है कि समय आ गया है कि आधार को बढ़ाया जाए और एलीट स्तर में लाने के लिए अधिक अंपायरों को ट्रेनिंग दी जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर हमारा मानना है कि तटस्थता काम करती है। लेकिन डीआरएस और तकनीक के कारण शायद भविष्य में हमें इस पर गौर करने की जरूरत होगी।’’