मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर अपने पिता के साये से निकलकर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. अर्जुन बैट और बॉल दोनों से प्रभावशाली प्रदर्शन कर रहे हैं. क्रिकेट की दुनियां में ज़्यादातर क्रिकेटर्स का मानना होगा कि अर्जुन के हीरों और कोई नहीं पिता सचिन तेंदुलकर और/या सीम अकरम ही होंगे लेकिन हैरानी की बात ये है कि अर्जुन के रोल मॉडल न तो सचिन हैं और न वसीम अकरम. उनका रोल मॉडल और ही कोई है.
आपको बता दें कि अर्जुन ने ऑस्ट्रेलिया में ग्लोबल T-20 सिरीज़ में शानदार प्रदर्शन किया है जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया है. गुरुवार को हांगकांग के ख़िलाफ क्रिकेटर्स क्लब ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से खेलते हुए पहले तो 27 गेंदों पर 48 रन बनाए फिर चार ओवरों में चार विकेट भी लिए.
abc.net.au के साथ भेंट में अर्जुन ने कई विषयों पर अपने विचार खुलकर रखे. उन्होंने कहा, "मुझे उस मैदान पर खेलने का फ़ख़्र है जिसका नाम ब्रेजमैन के नाम पर रखा गया है, ये अकल्पनीय है." ये पूछे जाने पर कि उनके पिता टॉप क्लास बल्लेबाज़ रहे हैं फिर उन्होंने बॉलर बनने का फ़ैसला क्यों किया, अर्जुन ने कहा- "मैं मज़बूत होता गया, लंबा होता गया और मुझे बचपन से ही तेंज़ गेंदबाज़ी में मज़ा आता था. मैंने सोचा मुझे फ़ास्ट बॉलर बनना चाहिए क्योंकि भारत में तेज़ गेंदबाज़ ज्यादा नही हैं."
जब अर्जुन से उनके रोल मॉडल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के बॉलर मिचल स्टार्क और इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स उनके हीरो हैं. अर्जुन ने कहा कि वह अपना रास्ता ख़ुद बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वह तेंदलकर नाम का सहारा नहीं लेंगे. लेकिन हां, वह जब भी ज़रुरत पड़ेगी, पापा से सलाह लेते रहेंगे.
पिता से मिले क्रिकेट के टिप्स के बारे में अर्जुन ने कहा: " वह कहते हैं कि निर्भीक होकर खेलो, अपनी टीम के लिए खेलो, टीम का अभिन्न अंग बनो और जो कुछ कर सकते हो करो."
उन्होंने कहा, "मैं जबाव नहीं लेता, जब मैं बॉलिंग करता हूं तो हर बार डेक को ज़ोरदार तरीके से हिट करता हूं. और जब बैटिंग करता हूं तो अपने शॉट खेलता हूं, किस बॉलर को निशाना बनाना है और किसे नहीं, तय कर लेता हूं."
सचिन ने 463 वनडे में 86.23 के स्ट्राइक रेट से 18,426 रन बनाए हैं. अब अगले कुछ सालों में पता चलेगा कि उनका 18 साल का बेटा उनकी सफलता का 10 प्रतिशत भी हासिल कर पाता है या नहीं.