भारतीय पूर्व कप्तान और मौजूदा क्रिकेट समिति के अध्यक्ष अनिल कुंबले ने हाल ही में गेंद पर लार के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए आईसीसी से नियम में बदलाव लाने की सिफारिश की थी। इस दौरान उन्होंने पसीने के इस्तेमाल को हानिकारक नहीं बताया था। अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली समिति ने COVID-19 से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए बुलाई गई एक कॉन्फ्रेंस कॉल का समापन किया, जिसमें मैच की गेंद की स्थिति को बनाए रखना और न्यूट्रल अंपायरों और रेफरी की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नियुक्ति शामिल थी। क्रिकेट समिति की सिफारिशों को अब जून की शुरुआत में आईसीसी मुख्य कार्यकारी समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
क्रिकेट समिति के इस फैसले के बाद सवाल उठने लगे थे कि उन्होंने क्यों लार के विकल्प के बारे में नहीं सोचा। लार की जगह किसी ओर चीज का भी तो इस्तेमाल किया जा सकता था। इन सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने इस पर विचार किया था।
स्टारस्पोर्ट्स के एक शो में अनिल कुंबले ने कहा "अगर आप खेल के इतिहास को देखो, मेरे कहने का मतलब है कि हम काफी आलोचनात्मक रहे हैं और बाहरी पदार्थों को खेल में आने से रोकने पर हमारा काफी ध्यान रहा है। अगर आप इसे वैध करने जा रहे हैं, अगर आप अब ऐसा कुछ करने जा रहे हैं जिसका कुछ वर्षों पहले गहरा असर रहा है। दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया के बीच श्रृंखला के दौरान जो हुआ उस पर आईसीसी ने फैसला किया लेकिन क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने इससे भी कड़ा रुख अपनाया इसलिए हमने इस पर भी विचार किया।’’
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कुंबले ने आगे कहा ‘‘यह सिर्फ अंतरिम उपाय है और उम्मीद करते हैं कि कुछ महीनों या एक साल में चीजें नियंत्रित होंगी और मुझे लगता है कि चीजें पहले की तरह सामान्य होंगी। ’’
कुंबले ने आईसीसी की प्रेस रिलीज में कहा था, ‘‘हम बेहद विषम दौर से गुजर रहे हैं और समिति ने आज जो सिफारिशें की है वे क्रिकेट का मूल स्वरूप कायम रखते हुए खेल को सुरक्षित तरीके से शुरू करने के लिये अंतरिम उपाय हैं। ’’ विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘आईसीसी क्रिकेट समिति ने आईसीसी चिकित्सा सलाहकार समिति के डा.पीटर हरकोर्ट से लार के माध्यम से वायरस के संक्रमण का जोखिम बढ़ने के बारे में सुना और गेंद को चमकाने के लिये लार का उपयोग बंद करने पर सर्वसम्मति से सहमित जतायी।’’
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गेंदबाज हालांकि गेंद को चमकाने के लिये पसीने का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि इससे वायरस का संक्रमण नहीं होता है। विज्ञप्ति में कहा गया था, ‘‘समिति ने चिकित्सा सलाहकारों की बात पर ध्यान दिया कि पसीने के जरिये वायरस के प्रसार की संभावना बेहद कम है। इसलिए गेंद को चमकाने के लिये पसीने के उपयोग पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है।’’