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अनिल कुंबले ने किया खुलासा, कुछ इस तरह 2004 में सुनामी लहरों से वो थे बाल - बाल बचे

भारत में सुनामी से 10,136 लोग मर गए थे जबकि कई हजारों लोगों के घर तबाह हो गए थे जिससे वो बेघर हो गए थे। 

Written by: India TV Sports Desk
Published on: August 03, 2020 9:57 IST
Anil Kumble- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES Anil Kumble

26 दिसंबर 2004 को दक्षिणी भारत सहित पडोसी देशों में हिन्द महासागर में उठे भूकंप के कारण समुद्र में लहरों ने विकराल रूप धारण कर लिया था। जिसे सुनामी लहरों के नाम से जाना गया। इन 100 फीट ऊँची लहरों ने कई देशों सहित करीब 2 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। जिससे उनके घर और इलाके सब तबाह हो गए थे। इतना ही नहीं भारत में इससे 10,136 लोग मर गए थे जबकि कई हजारों लोगों के घर तबाह हो गए थे जिससे वो बेघर हो गए थे। 

इस तरह टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व हेड कोच रह चुके अनिल कुंबले ने भी अपने उस समय को याद किया है। आर. आश्विन के साथ हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि उस समय वो अपनी पत्नी और 10 महीने के बच्चे के साथ चेन्नई में फंसे थे। तभी सुनामी लहरों के आने पर उन्होंने किसी तरह 2004 में खुद को बचाया था। 

कुंबले ने आश्विन के यूट्यूब चैनल डीआरएस पर कहा, "हम मछुआरे के कोव [चेन्नई] में ठहरे थे। वहाँ मेरी पत्नी, मैं और हमारा दस महीने का बेटा - बस हम तीनों थे। हमने हवाई यात्रा की। हम नीचे सडक से नहीं जाना चाहते क्योंकि इसमें छह घंटे लगेंगे और हम नहीं चाहते थे कि मेरा बेटा इतनी लंबी यात्रा करे। हमने छुट्टी का आनंद लिया और उस दिन जब सुनामी लहरें आने वाली थी और हमारे जाने का दिन भी था। इसलिए मुझे जल्दी चेक आउट करना पड़ा क्योंकि 11:30 बजे सुबह की फ्लाइट थी, इसलिए मुझे होटल से लगभग 9:30 बजे निकलना था।"

कुंबले ने आगे कहा, "इस तरह आप तो जानते ही हैं मेरी पत्नी को, वो रात भर बैचेनी महसूस कर रही थी। इसलिए हम सुबह जल्दी उठ गए थे। चारों तरफ बादल घिरे हुए थे। हम समुद्र को देखते हुये कॉफ़ी पी रहे थे। सब कुछ शांत था। करीब सुबह 8:30 बजे हमने ब्रेकफास्ट किया तभी पहली लहर ने हिट किया। जिसके बारे में मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। तभी हमने एक कपल ( जोड़े ) को देखा जो वाकई भीग चुके थे और काँप रहे थे।"

कुंबले ने आगे बताया कि उन्हें लहरों की तीव्रता का बिल्कुल पता नहीं था मगर हाँ जबा वो चेक आउट कर रहे थे तब लोगो के चेहरों पर चिंता साफ़ जरूर दिखाई दे रही थी। उन्होने कहा, "मुझे नहीं पता वो क्या था। हम सब कार में बैठे और मछुआरे के कोव के आगे एक पुल था तो उस समय लहरें पुल को पार कर रही थी और पानी का स्तर काफी बढ़ चुका था। जैसा कि हम सिनेमा में देखते हैं लोग विपत्ति आने पर जो कुछ भी मिलता है उसे लेकर भागने लगते हैं। हमारे ड्राइवर का फोन लगातार कॉल से बज रहा था तब मैंने उससे सिर्फ गाड़ी चलाने पर फोकस रखने को कहा मगर वो कह रहा था बहुत सारा पानी सामने आ रहा है। बारिश नहीं हो रही थी और इतना सारा पानी आ रहा था। इसके अलावा हमें कुछ भी नहीं पता था।"

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इसके आगे अंत में कुंबले ने कहा,"जब मैं वापस बैंगलोर आया उसके बाद टेलीविजन देखा तब पता लगा ये सुनामी लहरे थी। इस तरह हम बिल्कुल अनजान थे उस समय जो कुछ भी हमारे साथ हुआ।" 

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