2011 वर्ल्ड कप को हुए 9 साल का समय हो गया है, लेकिन अभी भी उस फाइनल मैच की गूंज हर किसी के दिलों में ताजा है। गंभीर की 97 रनों की झूझारू पारी के साथ-साथ हर किसी को धोनी का वो विजयी छक्का भी याद है। इस वर्ल्ड कप को जीतकर भारत ने 28 साल का सूखा भी खत्म किया था।
इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने महेला जयवर्धने के शानदार शतक के दम पर 274 रन बनाए थे, लेकिन भारत ने इस टारगेट को 10 गेंदें और 6 विकेट रहते हासिल कर लिया था। अब श्रीलंका के खिलाड़ी एंजिलो मैथ्यूज का कहना है कि उनकी टीम ने इस फाइनल मैच में 20-30 रन कम बनाए थे। अगर उनकी टीम 320 रन के आस-पास बना लेती तो वह भारतीय बल्लेबाजों को चुनौती दे सकते थे।
2011 वर्ल्ड कप को याद करते हुए एंजिलो मैथ्यूज ने एक यूट्यूब चैनल पर कहा 'वो मेरा पहला 50 ओवर वर्ल्ड कप मैच था, 2009 और 2010 में मैं टी20 वर्ल्ड कप खेल चुका था। 2011 बहुत खास था, क्योंकि हम अपने जैसी कंडीशन में खेल रहे थे। फाइनल तक पहुंचने के लिए हमने शानदार क्रिकेट खेला था। दुर्भाग्य से मैं चोटिल हो गया था और वो मेरे जीवन का सबसे निराशाजनक मौका था। सेमीफाइनल जीतने के बाद मुझे फाइनल मैच में खेलने का बेसब्री से इंतजार था।'
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चोटिल होने की वजह से मैथ्यूज भारत के खिलाफ फाइनल मैच नहीं खेल पाए थे। मैथ्यूज ने बताया कि उस चोट की वजह से वह ढंग से चल भी नहीं पा रहे थे और डॉक्टरों ने भी कह दिया था कि वो फाइनल मैच नहीं खेल पाएंगे। लेकिन इसके बावजूद उन्हें वापस श्रीलंका नहीं भेजा गया और वह टीम के साथ रही रहे।
मैथ्यूज ने आगे कहा 'मुझे अभी भी लगता है कि अगर हमने 320 रन बना लिए होते तो हम भारत के मजबूत बैटिंग लाइन-अप को कड़ी चुनौती दे सकते थे। भारतीय विकेट एकदम फ्लैट हैं, अगर बल्लेबाज लय में है तो उसे रोक पाना बहुत मुश्किल होता है। भारत का बैटिंग लाइनअप बहुत मजबूत था। वानखेड़े बहुत बड़ा स्टेडियम नहीं है और पिच भी काफी अच्छी थी।'
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साथ ही उन्होंने कहा 'हम करीब 20-30 रन कम बना पाए थे, हमारे पास हमारे मौके थे, लेकिन गंभीर और विराट ने बहुत अच्छी बैटिंग की और फिर महेंद्र सिंह धोनी आए और मैच को जबर्दस्त तरीके से फिनिश किया। कुल मिलाकर यह एक अच्छा मैच था।'
हाल ही में श्रीलंका के पूर्व खेल मंत्री हिंदानंदा अलुथगामागे ने इस फाइनल मैच को फिक्स बताते हुए खूब चर्चा बटौरी थी, लेकिन पुलिस को जांच में कुछ नहीं मिला और उन्हें यह केस बंद करना पड़ा।