Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. खेल
  3. क्रिकेट
  4. मैदान पर करिश्माई कप्तान और मैदान के बाहर ‘परफेक्ट जेंटलमैन’ थे अजीत वाडेकर

मैदान पर करिश्माई कप्तान और मैदान के बाहर ‘परफेक्ट जेंटलमैन’ थे अजीत वाडेकर

अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में सीरीज जीती थी।

Written by: India TV Sports Desk
Published : August 16, 2018 12:52 IST
अजीत वाडेकर। Photo: PTI
अजीत वाडेकर। Photo: PTI

अजीत वाडेकर भले ही मंसूर अली खान पटौदी की तरह नवाबी शख्सियत के मालिक नहीं रहे हों लेकिन मध्यमवर्गीय दृढ़ता और व्यावहारिक सोच से उन्होंने भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सबसे सुनहरे अध्यायों में से एक लिखा। वाडेकर ने ‘मुंबई के बल्लेबाजों’ के तेवर को अपने उन्मुक्त खेल से जोड़ा जिसमें दमदार पुल और दर्शनीय हुक शॉट शामिल थे। 

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में 1971 में सीरीज जीतना रहीं लेकिन उनका योगदान इससे कहीं अधिक रहा। 15 अगस्त को मुंबई में आखिरी सांस लेने वाले वाडेकर ने 37 टेस्ट खेले और एक ही शतक जमाया लेकिन आंकड़े उनके हुनर की बानगी नहीं देते। दिवंगत विजय मर्चेंट ने जब उन्हें कप्तानी सौंपी तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि वो इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में सीरीज जिताकर इतिहास रच देंगे। उनके दौर में ही भारत में बिशन सिंह बेदी, भागवत चंद्रशेखर, ईरापल्ली प्रसन्ना और श्रीनिवासन वेंकटराघव की स्पिन चौकड़ी चरम पर थी। 

वेस्टइंडीज दौरे पर सुनील गावस्कर हीरो रहे तो इंग्लैंड में चंद्रशेखर चमके। वाडेकर उस दौर के थे जब शिक्षा को सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती थी और यूनिवर्सिटी क्रिकेट से ही धाकड़ खिलाड़ी निकलते थे। वो इंजीनियर बनना चाहते थे लेकिन क्रिकेट के शौक ने उनकी राह बदल दी। मुंबई के पुराने खिलाड़ियों का कहना है कि एलफिंस्टन कॉलेज में वो बहुत अच्छे छात्र थे और कॉलेज मैच में 12वां खिलाड़ी रहने पर उन्हें तीन रूपये टिफिन भत्ता मिलता था। कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें क्रिकेट खेलने से मना किया क्योंकि वो विज्ञान के छात्र थे लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था । 

सौरव गांगुली से पहले वो भारत के सबसे शानदार खब्बू बल्लेबाज थे। सत्तर के दशक में रणजी ट्रॉफी के एक मैच के दौरान शतक जमाने के बाद उनका बल्ला टूट गया था और स्थानापन्न फील्डर गावस्कर दूसरे बल्लों के साथ मैदान पर आए। वाडेकर ने चार चौके जड़े और आउट हो गए। ड्रेसिंग रूम में आने के बाद उन्होंने पूछा कि वो बल्ला किसका था तो गावस्कर ने कहा कि उनका। गावस्कर ने कहा, ‘‘वो आपके लिए मनहूस रहा।’’ लेकिन वाडेकर ने जवाब में कहा, ‘‘लेकिन वो चार चौके पारी के बेस्ट शॉट थे।’’ 

वाडेकर ने 1974 के इंग्लैंड दौरे पर नाकामी के बाद कप्तानी गंवा दी थी। चयनकर्ताओं ने उन्हें पश्चिम क्षेत्र और मुंबई की टीमों से भी हटा दिया। वाडेकर ने क्रिकेट से संन्यास लेकर अपने बैंकिंग करियर पर फोकस किया। उन्हें 90 के दशक में भारतीय टीम का मैनेजर बनाया गया और मोहम्मद अजहरूद्दीन की कप्तानी में टीम ने अगले चार साल बेहतरीन प्रदर्शन किया। सचिन तेंदुलकर से पारी की शुरूआत कराने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। 

Latest Cricket News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Cricket News in Hindi के लिए क्लिक करें खेल सेक्‍शन

Advertisement

लाइव स्कोरकार्ड

Advertisement
Advertisement