यो-यो टेस्ट में पास होना ज्यादा जरुरी या फिर हूनरमंद क्रिकेटर होना टीम के लिए अहम... इंग्लैंड दौरे से पहले ये सवाल..विराट और टीम मैनेजमेंट के लिए किसी यक्ष प्रश्न से कम नहीं है। जिसका जवाब हर हाल में ढूंढ़ना होगा। वो भी तब जब... शानदार प्रदर्शन का लोहा मनवाने वाले क्रिकेटर यो-यो टेस्ट की वजह से बाहर हो जाए।
कोई शक नहीं कि फिट होना किसी भी खिलाड़ी की पहली जरुरत है लेकिन फिटनेस टेस्ट किसी एक फॉर्मुले पर सेट कर पास-फेल करना कितना लॉजिकल है। बात अंबाती रायुडू की करें आईपीएल में टीम को चैपिंयन बनाया जबर्दस्त पारियां खेली। 16 मैचों में 149.75 की स्ट्राइक रेट से 1 शतक के साथ 602 रन बनाए।
जबकि यो-यो टेस्ट में वो सिर्फ 14 प्वाइंट ही ला सके और नतीजा टीम से बाहर।
वहीं मनीष पांडे यो-यो टेस्ट के टॉपर। जबकि मैदान में फेल। आईपीएल के 15 मैचों में 114.4 की स्ट्राइक रेट से उन्होंने सिर्फ 284 रन बनाए। यो-यो टेस्ट में फेल होते ही रायडू जहां इंग्लैंड दौरे से बाहर हो जाते हैं और उनकी सुरेश रैना को शामिल किया गया। जबकि मनीष पांडे की तरह ही रैना भी मैदान में कुछ खास नहीं कर पाए थे।
सुरेश रैना ने इस आईपीएल में 15 मैचों में 132.4 की स्ट्राइक रेस से 445 रन बनाए। मोहम्मद शमी भी इंग्लैंड सीरीज के लिए..कप्तान से लेकर कोच तक के हॉट फेवरेट थे। इंग्लैंड की पिच कंडीशन उनके गेंदबाजी की मुफीद थी लेकिन यो-यो टेस्ट में फेल होने की वजह से पहले अफगानिस्तान सीरीज से बाहर होना पड़ा।
और अब उन्हें फिर से पास होने के लिए एक मौका दिया जा रहा है।
वैसे यो-यो टेस्ट फॉर्मेट से प्रदर्शन और टीम की कामयाबी को जोड़कर देखें तो कहीं से भी यो-यो टेस्ट खुद पास होता नहीं दिख रहा। जरा यो-यो के टॉपर पर नजर डाले। यो-यो टेस्ट का न्यूनतम लेवल न्यूजीलैंड में 20.1 है। जबकि वनडे रैंकिंग में वो चौथे नंबर पर है। वेस्टइंडीज का तो लेवल 19 है तो वनडे रैंकिंग में 9वें नंबर पर। पाकिस्तान का लेवल 17.4 है तो वनडे रैंकिंग 5 है। वहीं भारत का लेवर 16.1 है...तो वनडे रैंकिंग 2 है।
यानि एक बात तो साफ है कि यो-यो टेस्ट कामयाबी की कोई गारंटी नही है। ऐसे में कप्तान कोहली और कोच के लिए ये तय करना जरुरी है कि उन्हें यो-यो के टॉपर चाहिए या मैदान के असली हीरो।