बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेट की रणजी ट्रॉफी के अहम मैचों जैसे सेमीफाइनल और फाइनल में अम्पायरों की गलतियों को कम करने के लिए डीआरएस प्रणाली को इस्तेमाल करने का एलान किया था। जिसके चलते फ़ाइनल में यही डीआरएस अब विवाद का कारण बन गया है। जिसकी वजह इसका पूरी तरह से इस्तेमाल ना हो पाना बताया गया है।
गौरतलब है कि ‘बॉल ट्रेकिंग’ तकनीक डीआरएस का अहम हिस्सा है लेकिन रणजी फाइनल में बीसीसीआई इसका इस्तेमाल नहीं कर रहा। जिसके चलते अभिमन्यु ईश्वरन का आउट होना विवाद बन गया। इतना ही नहीं दिग्गजों ने भी अभिमन्यु के आउट होने को निराशा जनक बताया।
दरअसल, फ़ाइनल मैच के तीसरे दिन लंच होने से ठीक एक ओवर पहले प्रेरक मांकड़ के ओवर में अभिमन्यु को एलबीडबल्यू आउट दिया गया। जिसके चलते अम्पायर से बात करने के बाद अभिमन्यु ने रिव्यु लिया। इस तरह डीआरएस के सीमित प्रयोग पर पता चला कि गेंद बिलकुल सही है और लेग स्टंप पर उसका इम्पैक्ट हो रहा है। मगर गेंद घुटने के उपर लग रहा है जिससे ये प्रतीत हो रहा था की गेंद स्टंप को ऊँचाई और लाइन दोनों से मिस कर सकती है। मगर इसकी पुष्टि बॉल ट्रेकिंग से होती है जिसकी अनुमति बीसीसीआई ने इस्तेमाल किये जाने वाले डीआरएस के अंतर्गत नहीं दी थी। इस वजह से अभिमन्यु को अम्पायर कॉल के चलते आउट दिया गया।
इस तरह ईश्वरन 46 गेंदों में 9 रन बनाकर पवेलियन लौटे, जबकि सौराष्ट ने पहली पारी में 425 रन बनाए। ऐसे में अभिमन्यु के आउट होने के बाद भारत के पूर्व क्रिकेटर दिलीप दोशी ने भी डीआरएस के सीमित इस्तेमाल पर नाराजगी जताई और उन्होंने बीसीसीआई को आडें हाथ लेते हुए पीटीआई से कहा, ‘‘अगर आप डीआरएस जैसी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं तो इसे उचित तरीके से और पूर्ण रूप से लागू किया जाना चाहिए। क्योंकि इसका कुछ प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करना समझदारी भरा नहीं है।’’
बता दें कि तीसरे अंपायर को डीआरएस में स्पिन विजन, स्प्लिट स्क्रीन, स्टंप माइक और जूम करने की सुविधा मिल रही है। अभिमन्यु मिथुन जैसे शीर्ष घरेलू खिलाड़ी हालांकि अगले सत्र से ‘बॉल ट्रेकिंग’ को शामिल करने की वकालत कर चुके हैं।