वर्ल्ड कप 2003 में भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया मैच टूर्नामेंट का सबसे रोमांचक मुकाबलों में से एक था। इस मैच में भारतीय तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने शानदार गेंदबाजी करते हुए इंग्लैंड की टीम को 168 रनों के भीतर समेट दिया था।
डरबन में खेले गए इस मैच में आशीष नेहरा ने 23 रन देकर 6 विकेट अपने नाम किए जो उनके वनडे करियर का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन रहा। इस मैच में नेहरा द्वारा बनाया गया शानदार गेंदबाजी का रिकॉर्ड आज भी भारतीय फैंस के जेहन में ताजा है लेकिन इस रिकॉर्ड के पीछे की दर्दनाक की कहानी बेहद ही कम लोगों को पता है।
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने नेहरा के इस शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। आकाश चोपड़ा ने इस रोमांचक मैच को याद करते हुए कहा कि कैसे चोटिल होने के बावजूद नेहरा ने इंग्लैंड के खिलाफ पूरा मैच खेला और 6 इंग्लिश बल्लेबाजों का पवेलियन का रास्ता दिखाया।
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फेसबुक पेज पर अपलोड किए गए अपने नवीनतम वीडियो में बोलते हुए चोपड़ा ने कहा, “डरबन पिच पर विश्व कप 2003, भारत बनाम इंग्लैंड। यह एक करीबी प्रतियोगिता थी। 250 रन का पीछा करते हुए इंग्लैंड ने 2 विकेट पर 52 रन बना लिए थे। इसके बाद आशीष नेहरा गेंदबाजी के लिए आए। नेहरा ने शानदार रन-अप लिया और इंग्लैंड के कप्तान नासिर हुसैन कैच आउट हो गए। ये एक बड़ी सफलता थी। फिर, पॉल कॉलिंगवुड आये। वो एलबीडब्ल्यू आउट हुए। माइकल वॉन पीछे लपके गए। इसके साथ ही इंग्लैंड की आधी टीम ताश के पत्तों की तरह ढह गई।"
आकाश चोपड़ा ने कहा, “लेकिन रुकिए, आप पहले से ही इस कहानी को जानते हैं? मैं आपको पर्दे के पीछे, फ्लैशबैक में ले जाता हूं। बर्फ की एक बाल्टी के भीतर भारी सूजा हुआ पैर रखा हुआ है ... ये कौन है? यह वही आशीष नेहरा है, जिसने अगले ही दिन सूजे हुए पैर के साथ इंग्लैंड की बल्लेबाजी यूनिट को ढेर कर दिया। जैसा कि हम कहते हैं, एक व्यक्ति की इच्छा शक्ति से बढ़कर कुछ नहीं है। अगर नेहरा जी ने फैसला किया है कि वह इंग्लैंड के खिलाफ खेलेंगे, तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता है।"
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उन्होंने आगे कहा, "तो, नेहरा ने बर्फ से भरी एक बाल्टी ली और उसमें अपने भारी सूजे हुए पैर को घंटों तक अंदर रखा। अगले दिन उन्होंने अपने सूजे हुए पैर को जोर से टेप किया और मोटे मोजे पहन लिए। हालांकि, उसके लिए अपने जूते पहनना और मुश्किल था, फिर भी वो तैयार होकर खड़े हो गये। दादा का उनमें विश्वास था और इसी विश्वास पर खरा उतरने हुए नेहरा जी ने वो चमत्कार कर दिया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।"