क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने हाल ही में डीआरएस में बदलाव की बात कही थी। सचिन ने कहा था स्टंप पर गेंद का कितना प्रतिशत हिस्सा लग रहा है ये मायने नहीं रखा, अगर डीआरएस हमें दिखा रहा है कि गेंद स्टंप को लगी है तो मैदान पर लिए गए फैसले की परवाह किए बिना इसे आउट ही देना चाहिए। सचिन ने इस दौरान टेनिस और बैडमिंटन जैसे अन्य खेलों का उदहारण भी दिया है।
सचिन के इस सुझाव से भारतीय क्रिकेट के पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा पूरी तरह सहमत नहीं है। आकाश ने कहा कि टेनिस, बैडमिंटन और फुटबॉल में सिर्फ गेंद या फिर कॉक को देखा जाता है, लेकिन यहां गेंद आपको सिर्फ पैड तक दिखती है और आगे का आंकलन ट्राजेक्ट्री के जरिए होता है।
आकाश चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा "मैं मानता हूं कि LBW के मामले में अगर गेंद का 50 फीसदी हिस्सा स्टंप्स से टकराता है तभी खिलाड़ी को आउट दिया जाना चाहिए।"
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आकाश ने आगे कहा "टेनिस, बैडमिंटन और फुटबॉल में सिर्फ गेंद या फिर कॉक को देखा जाता है, लेकिन यहां गेंद आपको सिर्फ पैड तक दिखती है और आगे का आंकलन ट्राजेक्ट्री के जरिए होता है। ऐसे में यह 100 फीसदी सही नहीं है।"
इसी के साथ आकाश बोले मैं LBW के DRS के बदलाव के उस पहलू का समर्थन करता हूं, जिसमें अंपायर्स कॉल होती है। अगर आपने आउट दिया है और डीआरएस में दिखता है कि गेंद का 20 फीसदी हिस्सा स्टंप्स से लगा है तो खिलाड़ी आउट होता है, लेकिन आउट नहीं देने पर अगर फील्डिंग करने वाली टीम रिव्यु मांगती है और गेंद का 40 फीसदी हिस्सा भी विकेट से टकराता है तो अंपायर्स कॉल के तहत उसे आउट नहीं दिया जाता।"