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साउथ अफ़्रीका से मैच हारे, सिरीज़ हारे, क्यों हारे...? कहां चूके कप्तान विराट कोहली? ये हैं टीम इंडिया की हार के 5 कारण

क्या कप्‍तान विराट कोहली की टीम इंडिया वाक़ई इतनी ख़राब है...? क्या विदेशी ज़मीं पर टीम इंडिया के खिलाडि़यों के पांव कांपने लगते हैं...? आख़िर क्या है वजह कि घर पर अच्छी-अच्छी टीमों को धूल चटाने वाली टीम विदेशी पिचों पर ख़ुद धूल चाटने लगती है

Written by: Feeroz Shaani
Published : January 17, 2018 18:03 IST
virat kohli
virat kohli

south africa vs india 2nd test Match Analysis : सेंचुरियन टेस्ट में मिली 135 रनों की हार के साथ ही साउथ अफ़्रीका में 25 साल बाद कोई सिरीज़ जीतने का टीम इंडिया का सपना फ़िलहाल तो सपना ही रह गया है. केप टाउन में 73 रन की हार के बाद सेंचुरियन में भी टीम इंडिया को 135 रनों से हार का मुंह देखना पड़ा. कप्‍तान विराट कोहली ही नहीं भारतीय प्रशंसकों को भी ज़ाहिर है इस हार से बहुत निराशा हुई होगी क्योंकि घरेलू सिरीज़ में रिकॉर्ड जीत हासिल करने के बाद उन्हें इस दौरे पर टीम इंडिया से बहुत उम्मीदें थी जो अब धूल धूसरित हो गईं.

क्या कप्‍तान विराट कोहली की टीम इंडिया वाक़ई इतनी ख़राब है...?  क्या विदेशी ज़मीं पर टीम इंडिया के खिलाडि़यों के पांव कांपने लगते हैं...? आख़िर क्या है वजह कि घर पर अच्छी-अच्छी टीमों को धूल चटाने वाली टीम विदेशी पिचों पर ख़ुद धूल चाटने लगती है. हम यहां आपको गिना रहे हैं वो 5 कारण जो बने हार का सबब.

 
1. टीम चयन में चूक, बल्‍लेबॉजों का दोयम दर्जे का प्रदर्शन:
केप टाउन में पहले टेस्ट के लिए टीम चयन को लेकर काफी अटकलें थीं. चर्चा ये थी कि रोहित शर्मा और अजंक्य रहाणे में से किसको जगह मिलेगी. टीम मैनेजमेंट ने मौजूदा फ़ार्म को देखते हुए रोहित शर्मा को तवज्जो दी हालंकि विदेश में रहाणे का रिकॉर्ड कहीं बेहतर रहा है. इस मैच में रोहित दोनों पारियों में फ़्लॉप रहे और उनके साथ ओपनर शिखर धवन भी फ़्लॉप हो गए. ऐसे में तलवार खिंचना तो तय ही था और कोहली पर होने लगे हमले. इन हमलों से धबराकर जीत के आदी कोहली ने दूसरे टेस्ट मैच के लिए टीम में ताबड़तोड़ बदलाव कर तीन खिलाड़ियों को छुट्टी कर दी. धवन की जगह केएल राहुल, घायल साहा की जगह पार्थिव पटेल और भुवनेश्वर की जगह ईशांत शर्मा को टीम में रखा गया. धवन और भुवनेश्वर को न रखना हैरान करना वाला था. भुवनेशवर ने पहले मैच में न सिर्फ 6 विकेट लिए थे बल्कि दोनों पारियों में बैटिंग के समय पिच पर जमे रहने का दमख़म भी दिखाया था. 

धवन जिस तरह के बल्लेबाज़ हैं, वह अकेले मैच का रुख़ बदलने का दम रखते हैं लेकिन सिर्फ़ दो पारियों में फ़्लॉप होने पर उन्हें बाह बैठा दिया गया. उनकी जगहलाए गए राहुल भी कुछ नहीं कर सके. देखा जाए तो दोनों ही मैचों में बल्लेबाज़ों में ने निराश किया. पहले मैच की पहली पारी में हार्दिक पंड्या (93), पुजारा (26)  और भुवनेश्वर (25) के अलावा और कोई नहीं चला. दूसरी पारी में अश्विन (37) और कोहली (28) ही थोड़ा बहुत चल सके. इसी तरह दूसरे मैच के पहील पारी में कोहली (153), मुरली विजय (46) और दूसरी पारी में रोहित शर्मा (47) और अश्विन (38) के अलावा कोई कुछ ख़ास नहीं कर सका. टीम में ताबड़तोड़ बदलाव से ज़ाहिर है खिलाडियों को मनोबत और आत्मविश्वास गिरा.

2. दक्षिण अफ्रीका के युवा गेंदबाज लुंगी नगिडा की तूफ़ानी गेंदबाज़ी:
तेज़ गेंदबाज़ों को खेलना इंडियन बल्लेबाज़ों की कमज़ोरी रही है.दूसरे टेस्ट में साउथ अफ़्रीका के प्रमुख गेंदबाज़ डेल स्टेन नहीं थे. उनकी जगह 21 साल के लुंगी नगिडा को खिलाया और उन्होंने अपने पहले ही मैच में कुल 7 विकेट लिए. दूसरी पारी में उन्होंने 6 विकेट लेकर इंडिया की कमर ही तोड़ दी. यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि लुंगी ने ऐसे विकेट पर विकेट लिए जो काफी हद तक इंडियन विकेट की तरह था यानी न तो उछाल था न स्विंग. कोहली ने भी मैच के बाद माना कि सेंचुरियन टेस्ट जीतने का उनके पास सबसे बेहतर मौक़ा था. 

3. घरेलू सिरीज़ में जीत का घमडं विदेश में पड़ा भारी:
टीम इंडिया ने पिछले ढाई साल में घरेलू सिरीज़ में लगभग हर टीम को धोया है. इसकी ख़ास वजह रही हैं हमारे धूल भरे विकेट जिन पर मैच के पहले ही दिन से घंटे भर में बॉल यूं घूमती है मानो बॉलर नहीं जादूगर हो. इन पिचों पर अश्विन, जडेजा और अन्य बॉलर्स ऐसे नज़र आते हैं जैसे उन्हें खेलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. दरअसल इस तरह की जीत से टीम में एक झूठा विश्वास (false confidence) आ जाता है और जिसकी पोल विदेशी दौरे पर जाते ही खुल जाती है. साउथ अफ्रीका दौरे पर भी ऐसा ही हुआ है. पिच की रंगत देखते ही टीम के चेहरे का रंग सफेद पड़ जाता है.

4. कप्‍तान कोहली पर हद से ज्‍यादा निर्भर होना,पुजारा का फेल होना:
साउथ अफ़्रीका के दौरे पर आने के पहले कप्तान ग़ज़ब के फ़ार्म में थे और वह लगातार स्कोर कर रहे थे. यही वजह है कि टीम उन पर ज़रुरत से ज़्यादा निर्भर होने लगी. कोहली यहां अब तक चार पारियों में सिर्फ एक पारी (153) में ही रन बना पाए हैं. कोहली की तरह पुजारा से भी काफी उम्मीदें थीं लेकिन उनका भी चार पारियों में 26 सर्वाधिक स्कोर रहा है.
 
5. पहले टेस्‍ट की हार से बनें दबाव से बाहर नहीं निकल पाई टीम इंडिया:

कहते हैं कि ''जो पहले मारे सो मीर'' यानी पहली बाज़ी जो जीतता है मुक़ाबला भी अमूमन वही जीतता है. इंडिया केप टाउन में पहला टेस्ट तीन दिन में हार गया था. यूं तो मैच चार दिन चला था लेकिन तीसरे दिन बारिश की वजह से खेल नहीं हो पाया था. तीन मैच की छोटी सिरीज़ में अगर आप पहला मैच हार जाते हैं तो वापसी मुश्किल बहुत हो जाती है. इसके अलावा टीम में बदलाव करना भी मुश्किल हो जाता है. पहले ही मैच में हार से टीम इंडिया कितना घबरा गई थी इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि दूसरे टेस्ट के लिए टीम में तीन बदलाव किए गए. दरअसल पहली हार से टीम उबर ही नही पाई थी वर्ना इतने बदलाव की कोई ज़रुरत नहीं थी.

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