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विश्व कप 2019: याद नहीं कब बिना दबाव के मैदान पर उतरा था - विराट कोहली

कोहली ने सेमीफाइनल मैच से पहले पूर्व संध्या पर कहा, "मुझे याद नहीं कि आखिरी बार मैंने कब मैदान पर यह सोचते हुए कदम रखा था कि इस मैच में कुछ भी हो उससे फर्क नहीं पड़ता। भारतीय टीम के लिए स्टेडियम हमेशा फुल रहते हैं और लोगों को उम्मीदें होती हैं कि हम अच्छा करेंगे।"

Reported by: IANS
Published on: July 08, 2019 21:33 IST
विश्व कप 2019: याद नहीं कब बिना दबाव के मैदान पर उतरा था - विराट कोहली- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES विश्व कप 2019: याद नहीं कब बिना दबाव के मैदान पर उतरा था - विराट कोहली

मैनचेस्टर। आईसीसी विश्व कप-2019 में मंगलवार को भारत का सामना न्यूजीलैंड से होना है। क्रिकेट पंडितों का मानना है कि भारत के लिए यह मैच आसान है लेकिन टीम के कप्तान विराट कोहली का कहना है कि उनकी टीम जब भी मैदान पर उतरती है उस पर उम्मीदों का दबाव होता है चाहे सामने कोई भी टीम हो। 

कोहली ने कहा कि भारतीय टीम ने कभी यह नहीं सोचा कि यह आसान मैच है। 

कोहली ने सेमीफाइनल मैच से पहले पूर्व संध्या पर कहा, "मुझे याद नहीं कि आखिरी बार मैंने कब मैदान पर यह सोचते हुए कदम रखा था कि इस मैच में कुछ भी हो उससे फर्क नहीं पड़ता। भारतीय टीम के लिए स्टेडियम हमेशा फुल रहते हैं और लोगों को उम्मीदें होती हैं कि हम अच्छा करेंगे। इसके साथ दबाव होता है, साथ ही मौका भी। इसलिए जैसा मैंने कहा कि हम इस तरह की स्थितियों में खेलने के आदी हैं।"

कोहली ने कहा, "लेकिन मुझे लगता है कि विश्व कप का नॉकआउट मैच मैदान के बाहर काफी उत्साह लेकर आता है। यहां द्विपक्षीय सीरीज के मुकाबले माहौल अलग होने वाला है। इसलिए हमारी कोशिश इसे अपने अंदर उतारने की और उस चुनौती का सामना करने की है जो हमारे अलग टीम बनने की राह में है।"

कोहली ने कहा, "आपको मैच जीतने के लिए अच्छी क्रिकेट खेलनी होती है और इस विश्व कप में हमारा ध्यान इसी पर था और मुझे नहीं लगता कि हम इसमें बदलाव करेंगे क्योंकि यह नॉकआउट मैच है। यह जरूरी है कि हम इसे क्रिकेट के मैच की तरह ही देखें और जो जरूरी है वो करें।"

उम्मीदों के साथ दबाव आता है और कोहली कहते हैं कि उनकी टीम इसके लिए तैयार है। 

उन्होंने कहा, "जब आप इस तरह के टूर्नामेंट में यहां तक आते हो और फिर विफल हो जाता है तो हर किसी को निराशा होती है, लेकिन भारतीय टीम हमेशा से दबाव लेकर चलती है चाहे हम जहां भी खेलें। ईमानदारी से कहूं तो हम इसके आदी हो गए हैं।"

भारत का यह विश्व कप में लगातार तीसरा फाइनल है। इससे पहले वो 2011 और 2015 में सेमीफाइनल में पहुंची थी। 2011 में वो विजेता बनी थी तो वहीं 2015 में आस्ट्रेलिया ने उसका रास्ता रोक दिया था। कोहली ने कहा कि इस टूर्नामेंट में आने के बाद से उनकी टीम का पहला लक्ष्य सेमीफाइनल में जगह बनाना था। 

उन्होंने कहा, "जाहिर सी बात है बीते दो सेमीफाइनल का परिणाम काफी अलग था। मोहाली में जब हम सेमीफाइनल जीते थे तो वह मेरा पहला विश्व कप था। हमने फाइनल में जगह बनाई थी। उस समय हम घर में खेल रहे थे। 2015 में ज्यादा परिपक्व हो गया था, लेकिन टीम का सेमीफाइनल से आगे न जाना निराशाजनक था।"

उन्होंने कहा, "इस बार, चूंकि प्रारूप अलग है, हम समझते हैं कि टूर्नामेंट लंबा है और खिलाड़ियों ने काफी मेहनत की है। ऐसे में जब आपको पता चलता है कि आपने इस टूर्नामेंट का अपना पहला लक्ष्य-सेमीफाइनल में पहुंचाना, हासिल कर लिया है तो इससे आपको काफी ऊर्जा मिलती है।"

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