25 जून, यह वही तारीख है जब आज से 37 साल पहले कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने 1983 वर्ल्ड कप जीता था। टीम इंडिया जब इस टूर्नामेंट के लिए रवाना हुई थी तो उन्हें अंडरडॉग माना जा रहा था। किसी को भी भरोसा नहीं था कि यह टीम फाइनल या सेमीफाइनल तक भी पहुंच सकती है, लेकिन कपिल देव के विश्वास ने टीम को ना सिर्फ फाइनल तक पहुंचाया बल्कि दो बार की विश्व विजेता टीम वेस्टइंडीज को फाइनल में 43 रन से मात देकर पहली बार वर्ल्ड कप उठाया।
9 जून को भारत ने विंडीज को और उसके बाद जिम्बाब्वे को मात देकर वर्ल्ड कप का शानदार आगाज किया था, लेकिन उसके बाद ऑस्ट्रेलिया से 162 रन और विंडीज से 66 रन से मिली हार ने भारत को तगड़ा झटका दिया था।
इन दो हार से भारतीय टीम ने सबक लिया और अगले दो मैचों में जिम्बाब्वे को 31 रन और ऑस्ट्रेलिया को 118 रन से मात देकर सेमीफाइनल का टिकट हासिल किया। जिम्बाब्वे को 31 रन से मात देने वाला यह वही मैच था जिसमें कपिल देव ने 175 रन की नाबाद पारी खेली थी।
सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला दिग्गज टीम इंग्लैंड से था। भारत ने इस मैच में 214 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए यशपाल शर्मा और संदीप पाटिल के अर्धशतकों की मदद से 6 विकेट से जीत हासिल की और फाइनल में प्रवेश किया।
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फाइनल में भारत की भिड़ंत दो बार की वर्ल्ड कप विजेता टीम वेस्टइंडीज से थी। हर किसी को लग रहा था की विंडीज भारत को मात देकर जीत की हैट्रिक लगा लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर खेले गए इस फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 183 रन पर ही सिमट गई। भारत की ओर से श्रीकांत ने सबसे अधिक 38 रन बनाए। इस मैच में सुनील गावस्कर, किरती आजाद और रोजर बिन्नी को छोड़कर सभी खिलाड़ियों ने दहाई का आंकड़ा पार किया।
वेस्टइंडीज के धाकड़ बल्लेबाजों के आगे ये लक्ष्य छोटा सा दिख रहा था, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने इसे भी मुश्किल बना दिया। भारत ने दो बार की विश्व विजेता टीम को 140 रन पर ही ढेर कर दिया। इस मैच में मदन लाल और मोहिंदर अमरनाथ ने सबसे अधिक तीन-तीन विकेट लिए वहीं संधू के खाते में दो और कपिल देव और रोजर बिन्नी को एक-एक विकेट मिला।
इसी जीत के साथ भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप अपने नाम कर विश्व पर राज किया।