गुजरात में बनासकांठा जिले में हुए इस मामले के बारे में पुलिस ने बताया कि शिकायत के आधार पर सात आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली गई है लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
"यह आरक्षण बहुत पेचीदा होगा क्योंकि इसके दायरे में आने वाले लोगों का सटीक पता लगाना मुश्किल होगा। जैसे मान लें कि एक शख्स के पास रोजगार है और वह इस आठ लाख वार्षिक आय के दायरे में आता है लेकिन उसे दूसरी जॉब मिल जाती है, जो इस दायरे से बाहर है तो ऐसे में प्रशासन को कैसे पता चलेगा।"
सामना ने अपने मराठी संस्करण में कहा है, ‘‘पिछले दो सालों में नौकरी के अवसर बढ़ने के बजाय कम हुए हैं और नोटबंदी एवं जीएसटी लागू किये जाने के कारण करीब 1.5 करोड़ से लेकर दो करोड़ नौकरियां गई हैं। युवाओं में लाचारी की भावना है।’’
मंगलवार को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां इस पर कड़ा रुख अपना सकती हैं। राज्यसभा में भाजपा के पास सबसे अधिक 73 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 50 सदस्य हैं।
राज्यसभा में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने वाला बिल पास हो गया है। सवर्ण आरक्षण बिल के समर्थन में 165 वोट पड़े और इसके खिलाफ 7 वोट पड़े हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर कमजोर तबकों के लिए पास हुए आरक्षण बिल पर प्रसन्नता जताई है और इसे एक ऐतिहासिक अवसर करार दिया है।
पहली नजर में यह बेहद सोच समझकर लिया गया फैसला है जिसके तहत उन सभी जातियों के आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को नौकरियों में आरक्षण देना है, जो लोग अभी तक इस दायरे से बाहर थे।
क्या 2019 में सवर्ण प्रधानमंत्री मोदी को वोट देंगे? इसी सवाल को लेकर India TV CNX आज एक Opinion Poll लेकर आया है
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जनरल कोटा को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण को लेकर लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा कि सवर्ण आरक्षण पर पिछली सरकारों ने सही प्रयास नहीं किए।
मायावती ने सवर्ण, मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यंकों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की वकालत करते हुए सरकार से इस सबंध में संविधान संशोधन विधेयक लाने की मांग की।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने रविवार को कहा कि नौकरियों में वर्तमान आरक्षण 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर आर्थिक आधार पर 75 प्रतिशत तक कर देना चाहिए और इसका लाभ सवर्ण जातियों को भी मिलना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की तरफ से दक्षिण भारत की 'ऊंची जाति' के उम्मीदवार को खड़ा करना चाहता है।
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