2005 में डोकलाम में उत्तरी प्रवेश मार्ग मौजूद नहीं था लेकिन 2017 में उत्तरी प्रवेश मार्ग पूरा हो चुका है। उत्तरी मार्ग का मतलब वो सड़क है जो चीन को चिकन नेक तक कुछ घंटों में ही पहुंचा देगा। चीनी सैनिकों की हमेशा से यही कोशिश रही है इस इलाके में हाईवे
डोकलाम के करीब इस जगह पर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने आज चीनी फौजियों की क्लास भी ली। रक्षा मंत्री ने आमने-सामने खड़े होकर चीनी सैनिकों की क्लास ली।
जंग की धमकी देने वाला चीन आखिरकार डोकलाम से अपनी सेना हटाने को राजी हो गई। भारत भी इसी बात पर अड़ा था कि डोकलाम से दोनों सेना एकसाथ हटेगी और हुआ भी यही। अब डोकलाम से दोनों मुल्कों ने अपनी सेना हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इस रणनीति के पीछे कोई
एक खबर के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन पार्टी अगले सप्ताह अपनी 90वीं वर्षगांठ पर सैन्य परेड की बजाय सैन्य अभ्यास करेगी।
द ग्लोबल टाइम्स ने सुषमा के राज्यसभा के भाषण की तरफ इशारा करते हुए कहा, वह संसद से झूठ बोल रही थीं। गौरतलब है कि विदेश मंत्री ने संसद में कहा था कि पहले चीन डोकलाम से अपनी सेना हटाए उसी के बाद भारत अपनी सेना हटाने पर विचार करेगा। सुषमा ने कहा है कि भ
भारत और चीन के बीच चल रहे डोकलाम विवाद को लेकर बासित दोनों देशों के राजदूतों से बातचीत करना चाहते हैं। आपको बता दें कि भारत में राजदूत के तौर पर बासित का कार्यकाल पूरा हो गया है और अगले महीने वह पाकिस्तान जा सकते हैं।
एक सवाल का जवाब देते हुए हीथर ने कहा कि भारतीय और चीनी उन मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं। ब्रिक्स सम्मेलन के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बीजिंग यात्रा से पहले उन्होंने कहा, वह एक दूसरे से बात करने वाले हैं। ब्रिक्स की बैठक 27-28
’डोकलाम विवाद पर भारत को कतई घेरा नहीं जा सकता। भूटान जैसे छोटे देश पर चीन हावी हो रहा है। ’भारत और चीन की सीमा अभी तय होनी है, वहीं चीन और भूटान की सीमा भी अभी तय होनी है। अगर चीन भारत की सुरक्षा को कोई नुकसान पहुंचाएगा तो भारत सहन नहीं करेगा।’
अब तक 30 सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। सड़कें 2012-13 तक पूरी की जानी हैं। मंत्री ने अपने उत्तर में बताया कि इन सड़कों के निर्माण में देरी की मुख्य वजहों में सीमित कामकाजी मौसम और अधिक उुंचाई की वजह से साजो-सामान वाले मुद्दे, दुर्गम भूभाग, प
'अशांत तिब्बत और शिनजियांग प्रांत में पश्चिमी थिएटर कमांड ने उत्तरी तिब्बत में कुनलुन पर्वतों के दक्षिण में सैन्य साजोसामान भेजे हैं।' हालांकि पीएलए डेली ने यह कहीं नहीं बताया है कि साजोसामान की यह तैनाती उसके दो सैन्य अभ्यासों के लिए है।
वहीं भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच जारी गतिरोध के बीच अमेरिका की एक पूर्व राजनयिक ने कहा है कि चीन को यह मान लेना चाहिए कि भारत एक ऐसी शक्ति है, जिसके साथ तालमेल बैठाना जरूरी है और बीजिंग के व्यवहार के कारण क्षेत्र के देश प्रभावित हो रहे हैं।
'तिब्बत की सरकार ने 1890 के समझौते को स्वीकार करने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसके साथ इस जानकारी को साझा नहीं किया गया था कि वो इसका हिस्सा नहीं हैं। संधि के कुछ साल पहले ब्रिटिश और अंग्रजे सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और एक कारण यह भी हो सकत
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