अक्टूबर में खुदरा महंगाई 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो सरकार द्वारा आरबीआई के लिए निर्धारित लक्ष्य से अधिक है।
आर्थिक समीक्षा 2023-24 में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने नीतिगत दर निर्धारण की प्रक्रिया से खाद्य मुद्रास्फीति को बाहर रखने की वकालत की थी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 7 से 9 अक्टूबर को होने वाली अगली मीटिंग रेपो रेट पर फैसला करेगी। अगस्त में खुदरा महंगाई 0.11 प्रतिशत बढ़कर 3.65 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 3.54 प्रतिशत थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति अक्टूबर में होने वाली बैठक में नीतिगत दर में कटौती पर सक्रियता से विचार करेगी, दास ने कहा, ‘‘नहीं, मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।’’
ब्याज दर के मोर्चे पर स्थिरता के साथ-साथ स्टाम्प ड्यूटी शुल्क को तर्कसंगत बनाने की हाल ही में की गई घोषणा और महिला मकान खरीदारों के लिए रियायतें रियल एस्टेट क्षेत्र खासकर आवासीय क्षेत्र के लिए अच्छी खबर हैं।
शक्तिकांत दास ने बताया कि रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। बताते चलें कि आरबीआई ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है और इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ है।
RBI MPC की मीटिंग में रेपो रेट को लगातार 9वीं बार स्थिर रखने का फैसला किया गया है। बताते चलें कि पिछले 18 महीनों से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
भारत में महंगाई दर अभी भी उच्चस्तर पर है। जून में खुदरा महंगाई दर चार महीनों के उच्च स्तर 5.08 प्रतिशत पर थी। जब तक खुदरा महंगाई दर नीचे नहीं आती है तब तक रेपो रेट में कटौती की कोई संभावना नहीं है।
एचएसबीसी ने आरबीआई एमपीसी के फैसले की पूर्व संध्या पर रिपोर्ट में कहा कि दर-निर्धारण पैनल मौद्रिक नीति के 'अनुकूलन को वापस लेने' के रुख पर टिके रहना पसंद कर सकता है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा क्योंकि महंगाई दर अभी भी उच्चस्तर पर बनी हुई है।
आरबीआई एमपीसी की यह मीटिंग 5 से 7 जून तक चली है। यह घटनाक्रम भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 में अकेले पूर्ण बहुमत से चूकने के बाद पहली बार हो रहा है। भाजपा को अब बाकी सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर एनडीए गठबंधन सरकार बनानी पड़ रही है।
लोकसभा नतीजों के बाद यह एमपीसी की पहली मीटिंग (5-7 जून) हुई है। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि आरबीआई एमपीसी अपनी प्रमुख रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखेगा। MPC का व्यापक ध्यान मुद्रास्फीति के स्तर को कम करने पर रहेगा।
RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान 4.5 प्रतिशत पर रखा है। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है। यानी इस वित्त वर्ष में महंगाई में कमी आएगी। यह महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर है।
रेपो रेट पर निर्णय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक बुधवार को शुरू हुई थी। तीन दिन तक चले इस बैठक के बाद आज केंद्रीय बैंक रेपो रेट पर अपना फैसला सुनाएगी।
RBI MPC: देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 की दिसंबर तिमाही में 8.4 प्रतिशत रही। इक्रा का मानना है कि नीतिगत स्तर पर रुख में अगस्त 2024 से पहले बदलाव होने की संभावना नहीं है। उस समय तक मानसून को लेकर स्थिति साफ होगी। साथ ही आर्थिक वृद्धि तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक का नीतिगत दर को लेकर रुख भी साफ हो जाएगा।
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत में 10 साल की औसत महंगाई दर करीब 5 से 5.5 प्रतिशत रही है। यह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला दशक था।
लंबे समय से लोन की ईएमआई कम होने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। फाइनली लोन की ईएमआई कब कम होगी, इस बात की जानकारी मिल गई है। दुनियाभर समेत भारत में महंगाई कम होने से लोन सस्ता होने की उम्मीद बढ़ गई है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने का कहना है कि शुक्रवार को आई मोनेटरी पॉलिसी में यथास्थिति उम्मीद के मुताबिक ही है, और पिछली नीतियों की तुलना में आरबीआई कैश मैनेजमेंट पर कम आक्रामक दिखा है।
रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ समय से जारी तेजी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस तिमाही में भी बरकरार रखने की उम्मीद दी है। आरबीआई ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में रेपो रेट नहीं बढ़ाने का ऐलान किया है। आरबीआई ने इस तिमाही भी रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का ऐलान कि
आपको बता दें कि आरबीआई ने पिछली पांच मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। अंतिम बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था। उस समय से रेपो रेट स्थिर बना हुआ है।
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