भारत और चीन के बीच रिश्ते लगातार तनाव के दौर में चल रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा पर चीन के साथ भारत के संबंध असमान्य हैं। हालांकि विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि दोनों पक्षों की ओर से संबंधों को सुधारने का प्रयास जारी है। मगर अभी तक तनाव का क्रम जारी है।
बीते दिनों भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात चीनी विदेश मंत्री से हुई थी। जयशंकर पहले भी चीन के साथ संबंधों को असमान्य बता चुके हैं। इस बीच लद्दाख में एलएसी (LAC) के पास भारतीय सेना की गतिविधियां बढ़ चुकी हैं।
लद्दाख ने 13,862 फीट ऊंची पेंगोग झील में शून्य से कम तापमान में अपनी पहली 21 किलोमीटर दौड़ का सफलतापूर्वक आयोजन करके इतिहास रच दिया। जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है।
पैंगोंग झील दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झील है, जिसका दो-तिहाई हिस्सा चीन में है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पैंगोंग झील, लद्दाख के पास भी लगातार घुसपैठ करती रहती है।
ऑडी कार में तीन लोग हैं। एक शख्स गाड़ी चला रहा है, और दो लोग सनरूफ से निकलकर शोर मचा रहे हैं। गाड़ी पर हरियाणा का रजिस्ट्रेशन नंबर है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ऑनलाइन प्रेस वार्ता में इस बात पर जोर दिया कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के हटने से ही सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल हो सकती है और द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति का माहौल बन सकता है।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि एलएसी पर भारत और चीन के सैनिक साउथ पैंगोंग त्सो से लेकर फिंगर 4 से पीछे हट गए हैं। भारत-चीन के बीच करीब नौ महीने तक चले गतिरोध पर विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर हमलावर रहीं।
थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बुधवार को कहा कि पैगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने से अंतिम परिणाम बहुत अच्छा रहा और दोनों पक्षों के लिए यह लाभकारी स्थिति है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में अन्य लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भी रणनीति बनायी गयी है।
भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा है कि पैंगोंग झील के इलाके में भारत और चीन के सैनिकों के बीच डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
साउथ बैंक से चीनी सैनिकों की वापसी का वीडियो आया है। इस वीडियो में वो कैंप दिख रहे हैं जो चाइनीज सैनिक खाली करके गए हैं। इन खाली कैंपों को बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया गया।
पूर्वी लद्दाख से बड़ी खबर आयी है। भारत और चीन के बीच समझौते के बाद दोनों तरफ की सेनाओं के पीछे हटने का क्रम शुरू हो गया है।
भारत और चीन के बीच लद्दाख में बीते कई महीनों से लगातार तनाव बना हुआ है। दोनों देश इस तनाव को दूर करने के लिए कई स्तरों पर वार्ता भी कर चुके हैं।
गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीन के नापाक इरादों को नाकाम करने के बाद भारतीय सेना (Indian Army) LAC और आसपास के क्षेत्र में लगातार बढ़त बनाती जा रही है।
भारत और चीन के बीच जहां एक तरफ बातचीत चल रही है वहीं दूसरी तरफ चीन लगातार ये कोशिश कर रहा है कि वो अक्साई चीन से लेकर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के इलाकों में अपनी तैनाती बढ़ाता रहे।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव को लेकर अगले 2-3 दिनों में कोर कमांडर स्तर की बातचीत होगी।
चीन में सभी युवाओं के लिए सेना में शामिल होना अनिवार्य है। इनमें ऐसे भी युवा शामिल हैं जो चीन के अमीर परिवारों से ताल्लुक रखते हैं और विलासिता का जीवन जीने के आदी है। फिर भी उन्हें एक निश्चित अवधि के लिए सेना में अपनी सेवाओं देनी पड़ती हैं।
सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जे के लिए, चीन द्वारा नए सिरे से किए गए विफल प्रयासों के बाद क्षेत्र में बढ़े तनाव के बीच शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हालात ‘तनावपूर्ण’ हैं और भारतीय सैनिक हरसंभव आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
लद्दाख में ब्लैक टॉप पर जब से भारतीय सेना ने कब्जा किया है, तब से पाकिस्तान में रेड अलर्ट हो गया है। चीन के भरोसे पाकिस्तान कश्मीर का ख्वाब देख रहा था और उसके साथ मिलकर टू फ्रंट वॉर की बात कर रहा था लेकिन जब से ब्लैक टॉप पर तिरंगा लहरा रहा है तब से इमरान खान और बाजवा के होश उड़े हुए हैं।
एलएसी के पार इनकी तैनाती के बाद ही चीन ने भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ के प्रयास शुरू कर दिए हैं। चीन ने पैंगॉन्ग त्सो में यथास्थिति को बदलने के लिए उत्तेजक सैन्य गतिविधि शुरू कर दी थी। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने पीएलए के जमीन कब्जाने वाले मंसूबों पर पानी फेर दिया।
असल में चीन के दोहरे चरित्र को अब पूरी दुनिया समझ चुकी है। चीन को जहां मौका मिलता है वो दूसरे देशों पर दबाव बनाकर, ताकत दिखाकर, जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करता है।
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