राष्ट्रपति ने यह याचिका चुनाव आयोग की तरफ से दी गई राय के आधार पर बर्खास्त की है। चुनाव आयोग को याचिका में किसी तरह योग्यता नहीं मिली थी
दूसरे पक्ष से किसी तरह का विरोध ना होने पर अदालत ने चुनाव आयोग के 23 जून, 2017 के फैसले को चुनौती देने वाली विधायकों की याचिका ‘‘वापस ली हुई मानकर खारिज’’ कर दी।
इंडिया टीवी संवाददाता आशीष सिंह से खास बातचीत में CEC ने कहा कि वो चाहें तो कोर्ट जा सकते हैं। उस व्यवस्था में उन्हें पूरा विश्वास होता है इसलिए काम करते हैं, इसके बाद भी अगर कोई शिकायत है तो उसके लिए वो जा सकते हैं।
इन विधायकों की संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति को लाभ का पद ठहराया गया था। उन्होंने दावा किया कि उनकी अयोग्यता के संबंध में समूचा प्रकरण प्रक्रिया को साफ दर्शाता है जिसके तहत उन्हें उनका पक्ष सुने जाने के नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से वंचित किया गया।
चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ आप के विधायकों ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन उसके बाद राष्ट्रपति का विधायकों को डिस्क्वालिफाई करने का आदेश आ गया जिसके बाद इस याचिका का कोई मतलब नहीं रह गया था इसलिए सोमवार को इन पूर्व विधायकों ने
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे विधायकों का पक्ष सुने बिना एकतरफा फैसला दिया है यह अलोकतांत्रिक है
रिपोर्ट के हवाले से कपिल मिश्रा ने दावा किया है कि फिलहाल आम आदमी पार्टी एक भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूरी देते हुए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब दिल्ली में इन 20 सीटों पर उपचुनाव होंगे...
20 विधायकों को चुनाव आयोग द्वारा ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में अयोग्य घोषित करने के बाद अब आम आदमी पार्टी अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची है।
यह पहला मामला नहीं है जब जनप्रतिनिधियों पर कोई कार्रवाई हुई है। इससे पहले सोनिया गांधी और जया बच्चन को भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में अपनी सदस्यता छोड़नी पड़ी थी।
बताया जा रहा है कि शाम तक राष्ट्रपति को इस बाबत रिपोर्ट भेज दी जाएगी। गौरतलब है कि चुनाव आयोग पिछले साल 24 जून को इन विधायकों की याचिका खारिज कर चुका है।
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