भारत में लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न हो चुके हैं। लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर के अपने-अपने प्रतिनिधियों का चुनाव कर लिया है। वहीं, कई स्थानों पर जमकर नोटा पर भी वोट डले हैं।
स्वच्छता के मामले में लगातार कई सालों से नंबर वन इंदौर सीट पर NOTA को रिकॉर्ड वोट मिले हैं। नोटा दबाने का मतलब है कि वोटर चुनाव में खड़े किसी भी प्रत्याशी को अपने नेता के रूप में नहीं देखना चाहते हैं। इंदौर ने नोटा के मामले में रिकॉर्ड बनाया।
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में नोटा पर जमकर वोट पड़ रहे हैं। यही वजह है कि नोटा पर अब तक के सबसे ज्यादा वोट इंदौर में पड़े हैं। नोटा ने पिछली बार के चुनाव में गोपालगंज (बिहार) में पड़े सबसे ज्यादा वोटों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
सिक्किम विधानसभा चुनाव में राज्य के सीएम प्रेम सिंह तमांग की पार्टी को बड़ी जीत मिली है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी को सिक्किम विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है।
लोकसभा चुनाव 2024 में इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नाम वापस लेने के बाद यहां से उठे राजनीतिक तूफान ने देशबर की सियासत को गर्मा दिया है। इस सीट पर अब लड़ाई बीजेपी और नोटा में है। नोटा दबाने के लिए कांग्रेस लगातार इंदौर में मुहिम चला रही है।
Lok Sabha Elections 2024: इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी बनाए गए अक्षय कांति बम के नाम वापस लेने के बाद पार्टी चुनावी दौड़ से बाहर हो गई है। नाम वापस लेने के साथ ही अक्षय कांति बम ने बीजेपी ज्वॉइन कर लिया था। इसके बाद से ही कांग्रेस यहां के लोगों से नोटा पर बटन दबाकर करारा जवाब देने की अपील कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटा से जुड़े नियमों के बदलाव को लेकर एक याचिका में सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को नोटा से जुड़े नियमों को जांचने के निर्देश दिए हैं। याचिका में कहा गया है कि नोटा की संख्या अधिक होने पर दोबारा चुनाव होने चाहिए।
Lok Sabha Elections 2024 : देश में पहली बार वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में नोटा का विकल्प रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग में यह कदम उठाया था।
विधानसभा चुनाव पांच राज्यों में कराए गए हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में मतगणना रविवार को हुई। मध्य प्रदेश में 0.98 फीसदी वोटर्स ने ‘NOTA’ का विकल्प चुना।
याचिका में मांग की है कि NOTA पर ज्यादा वोट जाने पर उस सीट का चुनाव रद्द कर दिया जाना चाहिए और उस सीट पर 6 महीने के अंदर फिर से चुनाव कराया जाना चाहिए
आम आदमी पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में जोरदार झटका लगा है, आम आदमी पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिलते हुए दिख रहे हैं।
आम आदमी पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में जोरदार झटका लगा है, आम आदमी पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिलते हुए दिख रहे हैं।
आरक्षित बस्तर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदाताओं ने नोटा को वोट दिया है। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 1.96 लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा पर मतदान किया है।
गुजरात में जितनी बड़ी संख्या में नोटा को वोट पड़े हैं वह भाजपा और कांग्रेस के लिए एक बड़ा सवाल पैदा करते हैं। दोहोद और छोटा उदयपुर जैसी लोकसभा सीटों पर नोटा में 30 हजार से ज्यादा वोट पड़े हैं।
2014 के लोकसभा चुनावों में भी कुछेक लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की जीत का अंतर NOTA के तहत पड़े वोटों से कम था
राजस्थान में आम आदमी पार्टी को कुल मिलाकर 135816 वोट मिले हैं जो NOTA के तहत पड़े वोटों के मुकाबले 71 प्रतिशत कम हैं। NOTA के तहत राजस्थान में 467781 वोट पड़े हैं
शाम 6.30 बजे तक NOTA के तहत मध्य प्रदेश में 4.62 लाख से ज्यादा और राजस्थान में 4.53 लाख से ज्यादा वोट गिने गए हैं
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीसरी शक्ति बनने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की करारी हार हुई है। आप के ज्यादातर प्रत्याशी जमानत भी नहीं बचा सके।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच वोटों का जितना अंतर है उससे ज्यादा वोट तो NOTA में डाले जा चुके हैं
यह फैसला शैलेष मनुभाई परमार की याचिका पर आया है। पिछले राज्यसभा चुनाव में वह गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक थे जिसमें पार्टी ने सांसद अहमद पटेल को उतारा था।
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