भारत और चीन करीब 4 वर्षों बाद फिर से शांति की राह पर चल पड़े हैं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बीजिंग यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों में सुधार को गति दे दी है। बृहस्पतिवार को डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच कई बिंदुओं पर सहमति बनी।
भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे को लेकर बीजिंग में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया है। इस बैठक में भारत के NSA अजित डोवाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हिस्सा लिया।
भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव को दूर करने की दूसरी कड़ी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बीजिंग पहुंच गए हैं। वह भारत-चीन के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
वास्तविक नियंत्रण रेखा से भले ही भारत और चीन ने अपने-अपने सैनिक हटा लिए हैं, लेकिन अभी भी दोनों देशों को कुछ इंतजार है। इसके बाद ही शांति की स्थापना हो सकेगी।
भारत-चीन के सेैनिकों ने एलएसी पर विवाद सुलझाने के बाद डेमचोक और देपांसग में साझा गश्त शुरू कर दी है। विदेश मंत्रालय के अनुसार डिसइंगेजमेंट का सत्यापन करने और दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए साझा गश्त की जा रही है।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय के डेलिगेशन ने संसदीय समिति को इजरायल हमास युद्ध, भारत-चीन समझौते और कनाडा के साथ तनाव के मुद्दों पर जानकारी दी है।
भारतीय सेना के सूत्रों ने जानकारी दी है कि दोनों पक्षों के सैनिक अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे पेट्रोलिंग शुरू करेंगे। हालांकि, फिलहाल ये समझौते केवल देपसांग और डेमचोक के लिए लागू होंगे, अन्य स्थानों के लिए नहीं।
भारत और चीन लंबे अरसे बाद सीमा पर तनाव कम करने के लिए एक अहम समझौते पर पहुंचे है। दूसरी ओर AIMIM पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि उन्हें चीन-भारत समझौते के विवरण का इंतजार है।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद पर बड़ा अपडेट सामने आया है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को जानकारी दी है कि दोनों देश तनाव कम करने को लेकर एक समझौते पर सहमत हो गए हैं।
भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। भारत, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और देमचोक इलाकों से सैनिकों को हटाने का दबाव बना रहा है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव है। दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य वार्ता भी हो चुकी है। इसके बावजूद अभी तक सीमा विवाद को लेकर कोई ठोस हल नहीं निकला है। भारत-चीन के तनाव भरे रिश्ते पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जापान की राजधानी टोक्यो में खुलकर बात की है।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आसियान शिखर सम्मेलन में चीन के समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की है। इस दौरान भारत-चीन संबंधों में स्थिरता लाने के लिए सीमा विवाद सुलझाने, पूर्व समझौतों का सम्मान करने और डिसइंगेजमेंट को लेकर सहमति बनाई गई।
भारत तिब्बती सीमांत व्यापार समिति दाराचुला के अध्यक्ष जीवन सिंह रोंगकाली ने कहा कि दिसंबर, 2022 में चीन तथा नेपाल द्वारा किए गए समझौते का कार्यान्वयन इस साल 25 मई को शुरू हुआ, जब चीन ने पूर्वी नेपाल के डोल्पा जिले में स्थित पियांगी दर्रे को खोल दिया।
भारत और चीन के बीच बीते कई दशकों से सीमा विवाद रहा है। इस बीच चीन की सेना ने बड़ा बयान दिया है। चीनी सेना की तरफ से कहा गया है कि सैन्य गतिरोध सुलझाने के लिए दोनों देश वार्ता कर रहे हैं।
अमेरिका ने बीते 9 मार्च को अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर भारत का साथ दिया था। अब चीन को ये बात बुरी लग गई है और उसने अमेरिका पर इस मामले को भड़काने का आरोप लगाया है।
भारत का रुख नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।
भारत और चीन के संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक कि सैनिकों की तैनाती पूर्ववत स्थिति में नहीं हो जाती। चीन ने सीमा पर रक्तपात और हिंसा की है। साथ ही सीमा समझौतों का उल्लंघन किया है। सीमा सुरक्षा से समझौता करके चीन से संबंध बहाल नहीं किया जा सकता। मलेशिया में विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात कही।
सीडीएस चौहान ने कहा कि हमें विवादित सीमाएं विरासत में मिलीं। चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे ने उन्हें एक नया पड़ोसी बना दिया और भारत के विभाजन ने एक नए राष्ट्र का निर्माण किया जो शत्रुता और हमारे प्रति नफरत पर पनपा।
भारत-चीन सीमा विवाद का कोई हल नहीं निकल पा रहा है। वर्ष 2020 में गलवान घाटी की हिंसा के बाद से ही सीमा पर तनाव बढ़ गया है। इस बीच बीजिंग ने कहा है कि भारत और चीन के बीच के सारे द्विपक्षीय संबंध सिर्फ एलएसी के मुद्दे से ही तय नहीं हो जाते। जबकि भारत चीन पर समझौतों का पालन नहीं करने का आरोप लगाता रहा है।
भारत और चीन गत 4 वर्षों से तनाव के चरम पर हैं। दोनों देशों के रिश्ते 2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद से ही नाजुक चल रहे हैं, जिसमें सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि जब तक चीन सीमा समझौतों का पालन नहीं करता, तब तक एलएसी पर शांति संभव नहीं है।
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