भारत और अमेरिका ने मिलकर ऐसा महाप्लान बनाया है कि श्रीलंका में चीन की सारी हेकड़ी निकल जाएगी। अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह कोलंबो पोर्ट के टर्मिनल के लिए 55 करोड़ डॉलर से ज्यादा राशि देगा। कोलंबो में इस प्रोजेक्ट को अडानी ग्रुप आगे बढ़ा रहा है। जानिए कैसे मिलेगी चीन को पटखनी?
श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत को अपना हितैषी बताया और चीन को संदेश दिया कि उनके देश का इस्तेमाल कभी भारत के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा।
भारत और श्रीलंका के बीच बुधवार से क्रूज सेवा की शुरुआत कर दी गई है। अब चेन्नई से श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह तक क्रूज की सवारी की जा सकेगी। इसके लिए अभी से बुकिंग शुरू हो गई है। पूरी जानकारी बुकिंग साइट से प्राप्त कर सकते हैं। प्रभु श्रीराम से जुड़े पौराणिक स्थल जाने के इच्छुक लोगों के लिए यह सेवा सुपर है।
India China: श्रीलंका में भारत के उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘हमने चीन के राजदूत की टिप्पणियों पर गौर किया है। बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन उनका एक व्यक्तिगत गुण हो सकता है या किसी वृहद राष्ट्रीय रवैये को दर्शाता है।’
जहाज 17 अगस्त को हंबनटोटा से वापस लौट जाएगा। श्रीलंका में चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के निदेशक वाई. रानाराजा का कहना है कि चीनी जहाज हिंद महासागर के उत्तर पश्चिमी हिस्से में सैटेलाइट कंट्रोल और रिसर्च मॉनिटरिंग का काम करेगा।
श्रीलंका के विदेश सचिव जयनाथ कोलंबेज ने देश में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच इसको लेकर चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा है कि श्रीलंका अपनी नयी विदेश नीति के तौर पर ‘इंडिया फर्स्ट अप्रोच’ अपनाएगा और नई दिल्ली के सामरिक सुरक्षा हितों की रक्षा करेगा।
रीलंका में रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर हंबनटोटा में स्थित मत्ताला एयरपोर्ट का परिचालन अब भारत करेगा। यह हवाई अड्डा घाटे में है पर हंबनटोटा बंदरगाह का पट्टा चीन के पास है और इसका बड़ा महत्व है।
श्रीलंका में रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर हंबनटोटा में हवाईअड्डे का परिचालन भारत करेगा......
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद से श्रीलंका की राजनीति में तहलका मचा हुआ है। हालांकि, राजपक्षे उन चुनावों में हार गए थे और दोबारा अपने देश के राष्ट्रपति नहीं बन पाए थे...
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने हंबनटोटा बंदरगाह का किसी भी अन्य देश द्वारा सैन्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल की संभावना को शुक्रवार को खारिज कर दिया। इस तरह उन्होंने श्रीलंका में बढ़ती चीनी नौसना की मौजूदगी पर भारत की चिंताएं दूर की हैं।
श्रीलंका ने शनिवार को चीन को दक्षिणी हंबनटोटा बंदरगाह किराए पर देने के 1.1 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया है। इसमें विरोध प्रदर्शनों के कारण कई महीने की देरी हुई।
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