सुब्रमण्यन ने कहा कि कोविड के दौरान भारत ने ऐसी आर्थिक नीति लागू करने का विकल्प चुना, जो बाकी दुनिया से अलग थी।
कमजोर अंतरराष्ट्रीय बाजार, दबी हुई मांग में तेजी के बाद उसमें आ रही नरमी और निजी क्षेत्र में खपत में कमी आना वृद्धि दर को नीचे लाने वाले कारकों में अहम साबित होंगे।
हाल ही में आईएमएफ और विश्व बैंक ने भारत की विकास दर को लेकर अनुमान पेश किए हैं। इन दोनों ने भारत के 2023 में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था होने का अनुमान लगाया है।
आईएमएफ ने कहा कि भारत की विकास दर भले की गिरावट की ओर संकेत कर रही है। लेकिन इसकी स्थिति दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले फिर भी अच्छी है।
IMF के मुताबिक चीन की वृद्धि दर 2023 में 5.2 प्रतिशत और 2024 में 4.5 प्रतिशत रह सकती है। इसकी वृद्धि दर 2022 में तीन प्रतिशत थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने जुलाई-सितंबर 2022 तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था जबकि भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में इसके 5.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी।
Tibet-China News: वैसे तो चीन हर मामले में तिब्बत से सैकड़ों कदम आगे है। मगर अब एक मामले में तिब्बत ने चीन को पीछे छोड़कर सबको हैरान कर दिया है। तिब्बत की इस कामयाबी से चीन भी परेशान है। हालत यह है कि लगातार सात वर्षों तक पीछा करने के बाद भी चीन इस मामले में तिब्बत के आसपास भी नहीं पहुंच पाया।
एक्यूट रेटिंग (Acuite Rating) ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि भारत की दो अंकों की वार्षिक वृद्धि देखने में तो अच्छी लग रही है लेकिन हाल की स्थिति को देखकर ये कहना मुश्किल है कि ये संभव होगी।
आईएमएफ ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक इकोनोमी की वृद्धि दर अनुमान को भी 6.1 फीसद से घटा कर 3.6 फीसद कर दिया है।
गोल्डमैन सैक्श की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले साल वृद्धि में प्रमुख योगदान उपभोग का रहेगा।
वित्त मंत्री के मुताबिक अगले एक दशक में अर्थव्यवस्था के इसी रफ्तार से आगे बढ़ने का अनुमान है और इसमे गिरावट का कोई कारण नहीं दिख रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 10.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा
कोरोना महामारी के फैलने से पहले ही दिवालिया होने की कगार पर खड़ी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए यह महामारी विनाशकारी साबित हुई है। पाकिस्तान में 68 साल में यह पहली बार हुआ है जब अर्थव्यवस्था की विकास दर ऋणात्मक (माइनस में) हो गई है।
आईएमएफ के बाद अब वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भी भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर अपना अनुमान घटाते हुए बड़ा बयान दिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 5.7 प्रतिशत रह सकती है। यह वैश्विक निकाय के पूर्व के अनुमान से कम है।
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2019-2020 में भारत के लिए पांच प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के कई विकसित देशों के मुकाबले भारत वैश्विक आर्थिक मंदी से कम प्रभावित है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि आजाद भारत में पहली बार विकास दर के मुकाबले महंगाई दर को मोदी सरकार ने बढ़ने नहीं दिया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भरोसा जताया है कि भारत 2020-21 से आठ प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर लेगा।
कच्चा तेल, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली उत्पादन में जनवरी में क्रमशः 4.3 प्रतिशत, 2.6 प्रतिशत और 0.4 प्रतिशत की कमी देखी गई।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018 और 2019 में 7.5 प्रतिशत रह सकती है। तेल की ऊंची कीमत एक चुनोती जरूर है लकिन भारत ऐसे बाहरी दबाव से पार पाने में काफी हद तक सक्षम है।
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