कफील बेगूसराय में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कन्हैया कुमार के पक्ष में प्रचार करने के बाद मंगलवार को पटना आए थे।
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक उन बच्चों की मौत हुई है जो बेहद क्रिटिकल हालत में हैं जोकि आधे या एक घंटे ही सरवाइव कर पाते हैं। दरअसल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आसपास के इलाकों के लोग अपने बच्चों की हालत ज्यादा गंभीर होने के बाद ही मेडिकल कॉलेज ल
मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में हुई बच्चों की मौत के मामले में मुख्य सचिव राजीव कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा था। कुमार ने मामले की जांच के बाद रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सोमवार को सौंप दी थी, जिसके बाद ही चिकित्सा शिक्षा की अपर मुख्य सचिव अनीत
इसके अलावा स्टॉक बुक में लेनदेन का पूरा ब्योरा भी नहीं लिखा गया। सतीश की ओर से स्टॉक बुक का न तो अवलोकन किया गया और न ही उसमें हस्ताक्षर किया गया, जो सतीश की लापरवाही को दर्शाता है। उन्होंने इसको गंभीरता से नहीं लिया और घोर लापरवाही बरती।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में संदिग्ध हालात में एक के बाद एक 60 बच्चों की मौत ने पूरे देश को हिला दिया है, मगर उत्तर प्रदेश समेत देश के 14 राज्यों में इस बीमारी का असर है और रोकथाम के बजाय इलाज पर ध्यान देने की वजह से यह बीमारी बरकरार है।
कोई इंसान चंद पैसों के लिए बच्चों की जान से खिलवाड़ कैसे कर सकता है। गोरखपुर में यही हुआ....कमीशन के चक्कर में 64 बच्चों की जान चली गई।
बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के नोडल आफिसर डॉ. कफील खान को कल रात उनके पद से हटा दिया गया। कफील को पहले उनके काम के लिये हीरो बनाया गया था लेकिन अब वह जीरो हो गये है।
गोरखपुर पर कहर बन कर टूटा इन्सेफेलाइटिस का दूसरा नाम जपानी बुखार है। यह करीब 90 साल पुरानी जानलेवा बीमारी है, लेकिन अभी तक इसका एंटी वायरल ड्रग उपलब्ध नहीं है। जानिए लक्षण और बचने के उपाय...
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