पिछले 10 वित्तीय वर्षों में, एफडीआई प्रवाह में 119 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो पिछले 10 वर्षों (2005-14) में 304 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 667 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 30 जुलाई को कहा था कि सरकार चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को समर्थन देने पर कोई पुनर्विचार नहीं कर रही है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश 370 करोड़ रुपये के साथ आठवें और राजस्थान 311 करोड़ रुपये के साथ नौवें स्थान पर रहा।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में महाराष्ट्र को सबसे अधिक 15.1 अरब डॉलर का एफडीआई आया। यह आंकड़ा 2022-23 में 14.8 अरब डॉलर था। इसके बाद गुजरात को 7.3 अरब डॉलर का निवेश मिला जो 2022-23 में 4.7 अरब डॉलर था।
FDI की गति धीमी पर सुरजीत भल्ला ने कहा कि भारत में एफडीआई में गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण सरकार की नई नीति को माना जा सकता है।
रिजर्व बैंक के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास भारत की reserved deposit भी 1.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.817 अरब डॉलर हो गयी।
जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एफडीआई में गिरावट आई है, उनमें दिल्ली, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और हरियाणा शामिल हैं। हालांकि, गुजरात, तेलंगाना और झारखंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा है।
सरकार ने भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से किसी भी क्षेत्र में विदेशी निवेश से पहले उसकी मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था। इस कदम का मकसद कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण को रोकना था।
गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष संदीप इंजीनियर ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात (शिखर सम्मेलन) की शुरुआत से ही न केवल राज्य एवं देश के स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे आगे बढ़ाया है।
आरबीआई द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार पांचवें सप्ताह बढ़कर 15 दिसंबर तक 20 महीने के उच्चतम स्तर 615.97 बिलियन डॉलर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से आरबीआई को रुपए को स्थिर करने में मदद मिलती है।
कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के लिए ऐसा किया गया। इस फैसले के अनुसार किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए पड़ोसी देशों से आने वाले एफडीआई प्रस्तावों पर पहले सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी है।
बीते वित्त वर्ष में मॉरीशस, अमेरिका, नीदरलैंड, केमैन आइलैंड और जर्मनी से एफडीआई घटा है। राज्यों में महाराष्ट्र को पिछले वित्त वर्ष में 14.8 अरब डॉलर का एफडीआई मिला।
आंकड़ों के अनुसार, उसके बाद क्रमशरू मॉरीशस (4.7 अरब डॉलर), अमेरिका (करीब पांच अरब डॉलर), संयुक्त अरब अमीरात (3.1 अरब डॉलर), नीदरलैंड (2.15 अरब डॉलर), जापान (1.4 अरब डॉलर) तथा साइप्रस (1.15 अरब डॉलर) का स्थान रहा।
सर्वेक्षण के अनुसार ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले तीन-पांच वर्षों में काफी बेहतर प्रदर्शन करेगी।
Make In india: वार्षिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) लगभग दोगुना होकर 83 बिलियन डॉलर हो गया है।
FDI In India: वित्त वर्ष 2021-22 में विनिर्माण क्षेत्रों में FDI इक्विटी प्रवाह 76% की वृद्धि के साथ 21.34 अरब डॉलर रहा। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में यह 12.09 अरब अमेरिकी डॉलर था।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर की अब तक सर्वाधिक सालाना एफडीआई आवक दर्ज की।’’
विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में एफडीआई प्रवाह 30 फीसदी वृद्धि के साथ करीब 870 अरब डॉलर हो गया जबकि दक्षिण एशिया में यह 24 फीसदी गिरकर 2021 में 54 अरब डॉलर रहा।
जिन एफडीआई प्रस्तावों पर प्रेस नोट 3 (पीएन 3) के तहत विचार करने की जरूरत है, उसको सुगम बनाने पर सरकार का विचार
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले साल की इसी अवधि के 9.61 अरब डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार माह में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 112 प्रतिशत बढ़कर 20.42 अरब डालर पर पहुंच गया।
संपादक की पसंद