खुदरा के बाद थोक महंगाई में भी दिसंबर महीने में बढ़ोतरी दर्ज हुई है। दिसंबर, 2023 में थोक महंगाई दर 0.73 फीसदी दर्ज हुई है। सब्जियों और दालों की कीमतों में उछाल के चलते थोक महंगाई में यह इजाफा हुआ है। दिंसबर में खुदरा महंगाई 4 महीने के उच्च स्तर पर रही थी।
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को स्थिर रखा था। साथ ही नवंबर और दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने के संकेत दिए थे।
महंगाई में जरूर कमी आई है लेकिन अब भी यह आरबीआई के दायरे के बाहर है। आरबीआई का मुद्रास्फीति लक्ष्य 4+/- 2 प्रतिशत है।
रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर मुद्रास्फीति के लिये तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया गया है, तो आरबीआई को केंद्र सरकार को रिपोर्ट देकर उसका कारण और महंगाई को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी।
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई सितंबर में 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। जबकि सितंबर 2021 में 4.35 प्रतिशत थी।
2022-23 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति के 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो इसका पांच साल का उच्चस्तर है।
केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के दायरे में रखने को कहा है। लेकिन खुदरा मुद्रास्फीति इस दायरे को पार कर काफी ऊंची चल रही है।
रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा मुदास्फीति को ध्यान में रखता है।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति तीन महीने के निचले स्तर पर जाकर नवंबर में 4.64 प्रतिशत पर रही।
उपभोक्ताओं के लिए यह अच्छी खबर है। खुदरा महंगाई दर (CPI) जुलाई में 4.17 फीसदी रही। इससे पिछले महीने में यह 4.90 फीसदी थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था को दोतरफा झटका लगा है। एक तरफ जहां जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जून में बढ़कर 5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई वहीं मई में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की ग्रोथ घटकर 3.2 फीसदी रह गई।
वैश्विक ब्रोकरेज कंपनियों मसलन बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (BofAML), डॉयचे बैंक और यूबीएस के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर में और अभी होने वाली वृद्धि तुलनात्मक आधार के विपरीत प्रभाव की वजह से होगी। यह प्रभाव खत्म हो ही यह यह नीचे आएगी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (CPI) महंगाई दर में वृद्धि दर्ज की गई है। देश की खुदरा महंगाई (CPI) अप्रैल में बढ़कर 4.58 फीसदी पर रही, जो मार्च में 4.28 फीसदी थी और पिछले साल के अप्रैल में 2.99 फीसदी थी।
अप्रैल माह में मैक्रो डाटा ने मिश्रित संकेत दिए हैं। एक ओर जहां सीपीआई मुद्रास्फीति दर मार्च माह में घटकर 4.28 प्रतिशत रही, जो कि इससे पहले फरवरी माह में 4.48 प्रतिशत थी, वहीं दूसरी ओर फरवरी माह के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर कमजोर रही।
इस हफ्ते महंगाई दर, औद्योगिक उत्पादन और विदेश व्यापार के आंकड़े जारी होने हैं जो शेयर बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं
आम जनता के लिए अच्छी खबर है कि जनवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर 5.07 फीसदी रही। वहीं, दिसंबर 2017 में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि (IIP ग्रोथ) 7.1 प्रतिशत रही।
खाद्य वस्तुओं, विशेषकर अंडे और सब्जियों के दाम बढ़ने से दिसंबर में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 5.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 4.8% रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया कि मुद्रास्फीति ऊंची रहने की आशंका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया लगता है।
जनवरी में थोक महंगाई दर बढ़कर 30 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। दिसंबर के मुकाबले जनवरी में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी से बढ़कर 5.25 फीसदी हो गई।
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