अजरबैजान की राजधानी बाकू में चल रहे कॉप-29 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के दौरान विशषज्ञों ने दावा किया है कि इससे युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में शिखर सम्मेलन में शामिल देशों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
अजरबैजान की राजधानी बाकू में विश्वभर के नेता जलवायु वार्ता Cop-29 के लिए जुट गए हैं। इसमें आज मंगलवार को 50 देशों के नेता अपना संबोधन देंगे।
नेपाल में इस साल सितंबर के महीने में भारी बारिश हुई थी। भारी बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति बन गई थी। इस दौरान भूस्खलन की चपेट में आने से कम से कम 244 लोगों की मौत भी हो गई थी। नेपाल में भारी बारिश क्यों हुई इसके पीछे वजह अब पता चल गई है।
पूरे उत्तर भारत में 1951-2021 की अवधि के दौरान मानसून के मौसम (जून से सितंबर) में बारिश में 8.5 प्रतिशत कमी आई। इस अवधि के दौरान इस क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने बड़ी बात कही है। स्टील ने कहा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है और सिर्फ दो साल ही बचे हैं।
पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बज रही है। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर बड़ी बात सामने आई है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल वैश्विक गर्मी के रिकॉर्ड "टूट गए" थे, 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दशक रहा।
दुनिया में समय से पहले ही वसंत ऋतु का आगमन हो गया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसमी चेंजेस आ रहे हैं। वसंत ऋतु का ही प्रभाव है कि जापान से मैक्सिको तक फूल जल्दी खिल गए हैं। यूरोप में जो स्कीइंग करने वाले रिजॉर्ट हैं, वहां बर्फ गायब हो चुकी है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग में पेमेंट करने वाले सदस्यों और चयनित आमंत्रित होने वाले सहित लगभग 3,000 प्रतिभागी एक साथ आते हैं।
जिम्बाब्वे में सूखे के कारण हो रहीं हाथियों की मौतें हो रही हैं। यहां पड़े भयंकर अकाल के कारण हाथियों को पीने के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। बीमार और बूढ़े हाथियों की संख्या अधिक है, जो पानी की तलाश में दूर तक नहीं जा पाते। अल नीनो इफेक्ट को सूखे की वजह बताया जा रहा है।
दुबई में कॉप-28 शिखर सम्मेलन में एक मुद्दे पर चीन भारत के साथ खड़ा नजर आया। कॉप-28 शिखर सम्मेलन में 118 देशों ने कोयले को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के समझौते पर हस्ताक्षर किया। जबकि भारत ने इसके साथ अन्य जीवाश्व ईंधनों को बैन करने की मांग की थी। इसलिए हस्ताक्षर नहीं किया। चीन भी साथ रहा।
मोदी ने कहा, ‘‘हम एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे और एक-दूसरे का समर्थन करेंगे। हमें सभी विकासशील देशों को वैश्विक कार्बन बजट में अपना उचित हिस्सा देने की जरूरत है।’’ यदि भारत का सीओपी33 की मेजबानी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह इस साल की शुरुआत में जी20 के बाद देश में अगला बड़ा वैश्विक सम्मेलन होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में चल जलवायु परिवर्तन पर चल रहे कॉप-28 में सम्मेलन में ग्लोबल साउथ देशों की जोरदार वकातल की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों की मांग है कि विकसित देश उन्हें जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करें। यह मांग पूरी तरह न्यायोचित है।
मुस्लिम देशों में पीएम मोदी की स्वीकार्यता का जादू चल पड़ा है। एक के बाद एक देश पीएम मोदी और भारत के दिवाने होते जा रहे हैं। हर देश भारत से मजबूत संबंध और दोस्ती रखने का इच्छुक है। बहरीन इन देशों में से एक है। बहरीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का प्रबल समर्थक भी है।
दुबई में चल रहे कॉप-28 सम्मेलन में गरीब और विकासशील देशों ने मिलकर एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत जलवायु संकट पैदा करने वाले अमीर देशों को मिलकर प्रभावित गरीब और मध्यम विकासशील देशों को जुर्माना देना होगा। ताकि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उनकी जंग भी मजबूत हो सके।
दुबई में 1 दिसंबर से आयोजित होने जा रहे विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन (COP-28) में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम संयुक्त अरब अमीरात के लिए रवाना हो गए। उन्होंने उम्मीद जताई कि यूएई की अध्यक्षता में हो रहे इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन को ठोस समाधान निकलेगा।
फ्रांस ने चीन से अपने संबंधों को सुधारने की दिशा में पहल करनी शुरू कर दी है। फ्रांस की विदेश मंत्री कैथेरिन कोलोना ने चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से बातचीत की है। फ्रांस ने वैश्विक समस्याओं और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चीन को साथ आने का आह्वान किया है।
अचानक मौसम में बदलाव के कारण आपको कई बीमारियां घेर सकती हैं। ऐसे में स्वामी रामदेव के ये टिप्स बीमार होने से बचा सकते हैं। कैसे, जानते हैं इस बारे में।
G20 शिखर सम्मेलन के दौरान चीन की निम्न सोच सामने आ गई है। चीन ने ऋण पुनर्गठन के हिस्से के रूप में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान जलवायु प्रावधान जोड़ने के खिलाफ हो गया है। जबकि जी-20 के अन्य सदस्य देशों ने इससे पक्ष में अपनी सहमति दी है।
पत्रिका ‘एनर्जीस’ में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से उपजी परिस्थितियों के कारण आने वाले 100 सालों में 100 करोड़ लोगों की जान जा सकती है।
नासा के मुताबिक इस साल जुलाई महीने में साल 1880 के बाद सबसे ज्यादा गर्मी दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन को बताया गया है।
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