मूल रूप से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र से आने वाले आशुतोष महाराज ने पंजाब को अपनी कर्मभूमि बनाई, जब पंजाब आतंकवाद की आग में जल रहा था। ज्ञान की तलाश में कई गुरुओं का साक्षात्कार कर आशुतोष महाराज ने पाया कि वर्तमान में कोई भी गुरु पूर्ण नहीं हैं। अच्छे
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने नूरमहल के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (डीजेजेएस) के संस्थापक आशुतोष महाराज के पार्थिव शरीर को संरक्षित करने को आज अपनी मंजूरी दे दी। उन्हें जनवरी 2014 में नैदानिक तौर पर मृत घोषित कर दिया गया था।
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